असल में ऐसा बच्चों की “Horror Short Story in Hindi for Kids” डरावनी कहानी सुनना सबको पसंद हे और खास तोर पे जब भुत-प्रेत,चुड़ैल की कहानी हो तो बहा से उठने की नाम ही नहीं।
क्यूंकि भुत-प्रेत और चुड़ैल की कहानी बहुत ही दिलचस् होता हे। ये कहानी सुनकर डर तो लगता ही हे लेकिन सुनने में मजा भी आता हे।
Horror Short Story in Hindi for Kids
ओनेक भाई को मानना हे भुत-प्रेत बास्तब में हे, और ओनेक भाई को मानना हे भुत-प्रेत बास्तब में नहीं हे, सभी काल्पनिक हे। दोस्तों कमेंट करके जरूर बताये असली में भुत-प्रेत या चुड़ैल, बुरी आत्मा, आछी आत्मा बास्तब में हे या नहीं।
तो चलिए दोस्तों शुरू करते हे आजकी Horror Short Story in Hindi for Kids with Moral – भूतिया मेला की कहानी
भूतिया मेला की कहानी – Short Horror Stories in Hindi
पूरे भारत में दशहरे का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है दक्षिण भारत में स्थित पारंबा नाम के एक छोटे से गांव में भी हर साल की तरह इस साल भी दशहरे की तैयारियां बहुत जोरों से चल रही थी विजय पैदा तो आरंबा गांव में ही हुआ था मगर जब वह 1 साल का था तो उसके मां-बाप उसे बेंगलुरु लेकर चले गए थे।
12 साल बाद अपने गांव वापस आया था और अपने सारे परिवार वालों के साथ मिलकर दशहरा मनाने के लिए बहुत एक्साइटिड था। आरामबाग गांव में सिर्फ एक ही जगह रावण का पुतला जलता था और उसे भी गांव के पंडित मिलकर जलाते थे उनके अलावा उस रावण को छूने की इजाजत किसी को भी नहीं थी।
दशहरे के दिन विजय बहुत खुश था। नए कपड़े पहन कर वह अपने कजन के साथ पहले ही मेला देखने निकल गया था। मेले के अंदर पहुंचते ही विजय और उसके भाई बहनों ने खूब मजे किए।
अलग-अलग चीजें खाएं और झूले भी झूले। मगर विजय को सबसे अजीब यह लगा कि मेले की और दूसरी दुकान पर काले रंग की पट्टियां बिक रही थी। और तो और मिठाई और खिलौनों की दुकान से ज्यादा भीड़ उनकी दुकान पर थी।
विजय ने अपने कजन से इसकी वजह पूछी तो उसने बताया कि गांव के सभी बच्चों को यह पट्टिया दी जाती हैं और रावण के जलते ही उनको काली पट्टी अपनी आंखों पर बांधनी होती है। विजय को कुछ समझ नहीं आया मगर इन बातों पर ज्यादा ध्यान न देते हुए बह वापस अपनी मस्ती में लग गया।

कुछ देर बाद विजय के मां-बाप और उसका परिवार भी मेले में पहुंच गए। रावण जलने में अब बस 5 मिनट बचे थे। गांव के सभी लोग खोफ में रावण की तरफ देखने लगे उन्होंने अपने बच्चों की आंखों पर काली पट्टी बांध दी और मेले के दरवाजे के पास इकट्ठा हो गए।
ऐसा लग रहा था कि मान बोलो बस रावण के जलते ही वहां से भागना चाहते हैं। यह सब देखकर बिजय बहुत ही अजीब महसूस कर रहा था। विजय के पापा ने भी उसकी आंखों पर काली पट्टियां बांध दी। जब उसने उसके पापा से पूछे तो उसके पापा ने कुछ जवाब नहीं दिया बस इतना कहा बेटा घर पहुंच के सब बताऊंगा, अभी बसे पट्टी पहने रहो।
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गांव के सबसे बड़े पंडित ने उस रावण के पुतले में आग लगा दी। डरादेने वाली बात तो यह थी कि जो मेला लोगों से भरा हुआ था रावण के जलते ही बस 5 मिनट में खाली हो गया। बिजय भी जल्दी से उसमें से निकल ही रही थी लेकिन बिजय से रहा नहीं गया और उसने अपनी आंखों से पट्टी हटा कर जलते हुए रावण को देख लिया।
जिसे बिजय को उसी वक्त दौरे पड़ने लगे। उसके कानों पर आंखों से खून बहने लगा। और वह आसमान में देखता हुआ बुरी तरह किसी के डर से चिल्लाने लगा।
और देखते ही देखते 15 मिनट के अंदर उसकी मौत हो गई। ऐसा शुरू से ही कहा जाता है कि आज तक जिस बच्चे ने उस गांव के रावण को जलता देखा है तो बह बहुत दर्दनाक मौत मारा गया है।
मगर आज तक इसकी वजह कोई भी नहीं जान पाया है। और ना ही यह जान पाया है कि उन लोगों ने ऐसा क्या देखा? कि वह इतना डर गए? और मारे गए। अगर आप उस गांव में दशेरा बिताएंगे तो क्या अपनी आंखों से पट्टी हटा कर उस जलते रावण को देखना चाहेंगे?
Horror Short Story in Hindi for Kids – Moral of the Story
हमारे दिल में डर कभी खत्म ही नहीं होता, क्यूंकि जब तक हम उस डर का सामना नहीं करते तब तक बह डर हमें पीछा ने छोड़ता। पारंबा गांव के लोग सदिओं से धार्मिक परंपरा के नाम पर एक भयानक रहस्य से भाग रहे थे, लेकिन सच तो यह है कि, सच्चा रावण हमारे भीतर का डर ही होता है।
यह कहानी “Horror Short Story in Hindi for Kids” हमें सिखाती है कि अंधविश्वास और डर इंसान को सच्चाई से बहुत ही दूर कर देते हैं। कभी-कभी जो रहस्य हमें डराने की कोसिस करते हैं, वही डर हमारे मन की कमजोरी उजागर करते हैं। अगर विजय की तरह कोई उस सच्चाई को देखने की हिम्मत करे, तो शायद सदियों से छुपा हुआ सच सामने आ जाए।
Horror Short Story in Hindi for Kids – निष्कर्ष
कहानी “Horror Short Story in Hindi for Kids” भूतिया मेला की कहानी में “दशहरे का रहस्य” सिर्फ़ एक डरावनी घटना नहीं, बल्कि एक ऐसे रहस्य की गवाही देती है जिसे कोई आज तक समझ नहीं पाया। रावण दहन तो हर जगह होता है, लेकिन पारंबा गांव का रावण मानो किसी और ही दुनिया से जुड़ा है।
हर साल वही डर, वही अंधेरा और वही पट्टियाँ — पर कोई यह नहीं जान सका कि आखिर उस रावण में क्या दिखता है जो देखने वाला ज़िंदा नहीं बचता। विजय की मौत एक सवाल छोड़ जाती है। क्या सच में बुराई सिर्फ़ रावण के पुतले में थी या उन लोगों में, जिन्होंने डर को अपनी परंपरा बना लिया?
अगर आपके अंदर हिम्मत है, तो अगली बार दशहरे की रात उस गांव की ओर ज़रूर जाना…
शायद आप वो देख पाएं जो अब तक किसी ने नहीं देखा।
आपको ये “Horror Short Story in Hindi for Kids” भूतिया मेला की कहानी केसा लगा कमेंट करके अपना सुझाब जरूर शेयर करना और अपने दोस्तों के साथ ये कहानी जरूर साझा करना।
Horror Short Story in Hindi for Kids – FAQ
Q. गांव के लोग रावण दहन के समय बच्चों की आंखों पर काली पट्टी क्यों बाँधते थे?
A. कहा जाता है कि जलते हुए रावण में कुछ ऐसा दिखता है जिसे देखने वाला जीवित नहीं रह पाता। इसलिए बच्चों की आंखों को ढक दिया जाता है ताकि वे उस रहस्य से सुरक्षित रहें।
Q. विजय को रावण जलते वक्त क्या दिखाई दिया था?
A. किसी को ठीक-ठीक नहीं पता, लेकिन गांव के बुज़ुर्गों का कहना है कि उसने “रावण के भीतर फँसी हुई आत्माओं” को देखा था — जो हर साल किसी न किसी की तलाश में जागती हैं।
Q. क्या विजय की मौत प्राकृतिक थी या किसी श्राप का नतीजा?
A. यह आज तक एक रहस्य है। डॉक्टरों ने कोई कारण नहीं पाया, पर गांव वाले मानते हैं कि यह रावण के श्राप का असर था।
Q. गांव के लोग दशहरा मनाना क्यों नहीं छोड़ते?
A. क्योंकि उनके अनुसार, अगर रावण दहन नहीं किया गया तो गांव पर विनाश का साया छा जाएगा। यह परंपरा डर और भक्ति दोनों से जुड़ी है।
Q. क्या किसी ने आज तक बिना पट्टी के रावण को देखा और ज़िंदा बचा?
A. नहीं… कहा जाता है कि जिसने भी उस रावण को अपनी आंखों से देखा, उसकी 15 मिनट में दर्दनाक मौत हो गई — जैसे विजय की।


