Shapit Bus Horror Stories in Hindi to Read | भूतिया शापित बस की 1 डरावनी सच्ची कहानी

आजकी “Shapit Bus Horror Stories in Hindi to Read” भूतिया शापित बस की 1 डरावनी सच्ची कहानी के बारेमे बताऊंगा जो एक अनोखी सच्ची डरावनी कहानिओं में से एक हे।

“Shapit Bus Horror Stories in Hindi to Read” ये कहानी 2003 में घटी उत्तर प्रदेश की एक छोटी से गांव का सच्चा कहानी हे।

Horror Stories in Hindi to Read

“Shapit Bus Horror Stories in Hindi to Read” ये कहानी बहुत ही रहस्यमय भूतिया बस की सच्चा डरावनी कहानी। ये कहानी मुकेश नाम की एक लड़का के साथ होने बाला असली कहानी हे।

रात की बक्त कोई ऐसा अनजान ब्यक्ति और डरावनी सा चेहरा और डरावनी सी भेस में अगर किसीको भी मिले तो बह साबधान होकर फैसला ले। क्यूंकि इस कहानी की तरह जैसे मुकेश को साथ हुयी बो आपके साथ भी ना हो।

तो चलिए शुरू करते हे “Shapit Bus Horror Stories in Hindi to Read” भूतिया शापित बस की 1 डरावनी सच्ची कहानी –

भूतिया शापित बस की डरावनी सच्ची कहानी

Shapit Bus Horror Stories in Hindi to Read

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आज कॉलेज का प्रैक्टिकल एग्जाम थे। इसलिए कॉलेज से लोट ते बक्त मुकेश को बहुत देर हो गयी थी। जल्दी जल्दी कदम बढ़ाते हुए बह बस स्टॉप की तरफ चलने लगा। मगर शहर से गांव में जाने बाले बस जा चुकी थी।

मुकेश का मन थोड़ा ख़राब हो गया था। मगर फिर उसने सोचा प्रेक्टिकल का एग्जाम तो अच्छा गया अगर कोई साधन नहीं मिला तो शहर में ही रुक जाऊंगा। घर में फ़ोन करके उसकी बस ना मिलने की खबर बता दी थी।

कुछ देर बस स्टॉप खड़े बह किसी साधन का आने का इंतजार कर रहा था। काफी देर तक खड़े रहने की बाबजूद भी उसे कोई भी साधन नहीं मिला तो बह हताश होकर एक होटल से आपने लिए खाना पैक करबाया।

और बह उस रात गुजर ने केलिए कोई लॉज की तलाश करने लगा। एक लॉज के बाहर फाटे पुराने कपड़े पहना हुआ एक भिखारी की तरह ब्यक्ति बैठा हुआ था। उसके शरीर पर कुछ घाओ की निशान थे। जिसमे से खून बेहे रहा था।

आँखो की निचे गहरे काले गड्डे होटो पर सफ़ेद पपड़ी की परत और पेट धसा हुआ ऐसा लगरहा हे मनो बहुत दिनों से खाना ना खाया हो। मुकेश ने हिरशत की नजर से उसे देखा मगर बह उसे देखकर मुस्कुराते हुए उसके हाथो से उसे आपने करीब बुलाया।

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मुकेश ने एकबार तो उसे नजर अंदाज करदिया, उसे लगा उसकी हाथ में जो खाना हे बो लेने केलए उसे बुला रहा हे। मगर बह ब्यक्ति दोबारा मुकेश को मुकेश की नाम से बुलाया। मुकेश गांव जाने बाली बस निकल गयी।

मुकेश बह ब्यक्ति की मुँह से आपने नाम सुनकर मुकेश ने हैरान हो गया। की उसे मेरा नाम कैसे पता। मुकेश की शकल देखकर बह भिखारी जोर से हसने लगा। और कहा मुकेश मुझे खाना नहीं चाहिए।

और मुकेश हैरान था। की उसकी मन की बात को उसे कैसे पता चला। भिखरी ने कहा रोजाना में तुम्हे एहसे आते जाते देखता हु। इस बस स्टैंड पर ना जाने कितना लोग आते जाते रहते हे।

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मगर ना जाने क्यों तुमसे एक अलग लगाब सा हो गया हे। मुकेश को भी ना जाने उसकी बातो से एक अपना पन सा लगा की उसका तरफ खींचा चला गया। भिखारी ने कहा -किया तुम आज ही आपने गांव जाना चाहते हो?

बह भिखारी की बात सुनकर हाँ में सर हिला दिया। भिखारी ने कहा अभी 10 बज रहा हे, 11 बजे एक बस हर रोज गांव की तरफ निकलती हे, बसे तो उस बस की स्टॉप ये नहीं हे मगर में तुम्हारे लिए उस बस को रोक दूंगा।

मुकेश ने कहा, मगर मुझे तो ऐसी कोई भी बस के बारेमे नहीं पता। भिखारी ने कहा बहुत काम लोगो को उस बस की बारेमे पता हे। ठीक 11 बजे यहाँपे आ जाना। उस भिखारी की बात सुनकर मुकेश ने सोचा की 11 बजे में एहसे निकलूंगा तो लगभग 1 बजे तक में आपने गांव पहुंच जाऊंगा।

रात को यहाँ रुकने से कोई मतलब नहीं हे। मुकेश ने हाँ में आपने गर्दन हिलाया। मुकेश ने बस स्टॉप की तरफ बढ़ने लगा जहाँ तीन चार लोग पहले से ही मजूद थे। थोड़ा सा आगे बड़ा था की उसके हाथ में खाने की पैकेट की याद आयी।

बसे तो अभी भूख नहीं हे घर जाकर ही खाना खा लूंगा, क्यों ना खाना उस बुजुर्ग को दे दू। ये सोचते हुए मुकेश पलट कर उस बुजुर्ग की तरफ देखने लगा, तो देखा की बहा पर अब कोई भी नहीं था।

मुकेश हैरान था की इतनी जल्दी बह कहा चले गए, कोई बात नहीं 11 बजे जब मुलुंगा तब दे दूंगा। ठीक 11 बजे मुकेश ने उस बस स्टैंड पर आ कर खड़ा हो गया। लेकिन बह बुजुर्ग अभी भी मुकेश को नजर नहीं आ रहे थे।

कुछ देर बाद ही उसे एक बस आती हुयी नजर आयी और बस की गंतब्य स्थान पर उसकी गांव की नाम सीतापुर लिखा हुआ था। बस बहुत ही पुराणी सी थी मगर कोई और कोई साधन ना होने की कारन मुकेश तुरंत ही बस में चढ़ गया।

बस में एक अजीब सी शांति थी ऐसा लगरहा था की बस में बैठे हुए सभी लोग सो रहेहे। मुकेश ने एक खली सीट देखकर उसमे बेथ गया। बस चलने लगी, रास्ता ख़राब होने की कारन बस में बहुत झटके लग रहे थे।

मनो बहुत उबर खबर सड़क हो सईद बस पुराणी हे इसी कारन झटके लग रहा हे, बढ़ना गांव की सड़क तो बिलकुल अच्छी हे। उसकी पास की सीट पर एक महिला बैठी हुयी थी, जिसने गांव की महिला की तरह कपड़े पहने हुए थे।

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घागरा उसके साथ उड़नी और हाथो में ढेर सारे चुरिया और  चाँदी की बड़े बड़े हार बह घुंगट उड़े हुए थे तो मुकेश को हंसी आ गयी। आज की जमाने में इस तरह की पेहेरबा सईद ऐसेही लोगो की सोच की कारन हमारा देश तरक्की नहीं कर पा रहा हे।

बह खिड़की से बहा की अर देखने लगा। ऐसा लग रहा था की मनो बस में बर्फ की सिलिया रख दी गयी हो। पूरी बस का तापमान गिर चूका था। उसे लगा की खिड़की से आ रही ठंडी हवा की कारन उसे ऐसा लग रहा होगा।

उसे तुरंत ही खिड़की बंद कर दी और आपने आँखे बंद कर लिए। कुछ देर बाद अचानक उसे ऐसा लगा मनो बस की छत पर कोई जोर से दस्तक दे रहा हे। मुकेश ने आँखे खोलकर जैसे ही देखा बह घबड़ा गया।

बस की सारि सबारी उसकी आस पास खड़ी उसे घूर रही हे और उन सबकी आँखे लाल थी। और बह लोग मुँह से अजीब तरह की आवाजे निकाल रहे थे। जो महिला मुकेश की पास बाली सीट पर बैठी थी बह बस छत से उलटी लटकी हुयी थी।

घूँघट हट जाने की कारन उसका चेहरा बहुत ही भयानक आ रहा था। सभी लोग इतने भयानक थे की मनो सभी मिलकर मुकेश को अभी खा जायेंगे। मुकेश ने डर की कारन आपने आँखे बंद कर लिया।

बस की छत से आवाज आने बाली और भी तेज हो गयी। मुकेश ने दुबारा आँखे खोलकर देखा तो उसके आसपास अब कोई भी नहीं था सब आपने आपने सीट पर ही बैठे हुए थे। मगर उस लोगो को जैसे ही आ रही आवाज छत पर से कोई फरक नहीं पड़ रहा था।

अचानक से बस रोक गयी और एक बुजुर्ग उतर गए। मुकेश को लगा सईद उनका स्टॉप आ गया हे इसीलिए बह उतर गया हे। उसने देखने की कोसिस की, की इस बक्त कौन सा गांव आया हे मगर उसे कुछ भी नजर नहीं आया।

बह बस जंगलो की बीचो बिच रुके हुए थे। मुकेश को थोड़ी सी हैरानी हुयी की इतनी घनी जंगल के बिच बह बुजुर्ग इंसान क्यों उतरा हे? बुजुर्ग इंसान उतरने के बाद भी बस आगे नहीं बड़ी।

ड्राइवर बस को चालू करने की कोसिस कर रहा था मगर सईद कुछ परिशानी के आ जाने की कारन बॉस चालू नहीं हो पा रही थी। मुकेश जब ड्राइवर की सीट की तरफ देखा तो बहा पर कोई भी नहीं था।

फिर भी बस चालू करने की कोसिस की आवाज आ रही थी। उसकी पुरे शरीर में झरझराहट से आ गयी। उसने बस में बैठी सभी यात्री के और देखा तो कोई भी बस के अंदर नहीं थे।

परेशान हो कर कहने लगे की कहा गया सब लोग, अभी तो सब एहि पर बैठे हुए थे। बह घबराता हुआ बस से उतर गया। जैसे ही बो उतरा देखा की बही बस स्टैंड बाला भिखारी खड़ा हुआ मुस्कुराहा हे।

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उसे देख कर उसके मुँह से चीख निकल गयी। बह भिखारी ने कहा मुकेश तुम बस से क्यों उतरे, बापस बस में जाओ। मुकेश ने कहा बस में कोई भी नहीं हे और आप अचानक से यह कैसे आ गए।

बह भिखारी ने कहा मेरी छोड़ो में तुमसे जितना कहे रहा तुम बस उतना ही करो, बापिस बस में बैठ जाओ बढ़ना तुम हमेशा केलिए इस जंगलो में फास के रहे जाओगे।

उस भिखारी के कहने पर जैसे ही मुकेश बस में चढ़ा तो देखा की सभी लोग बस में बैठे हुए थे। और बह डरते हुए आपने सीट पर बापस जाकर बैठ गया। और बस चालू हो गयी।

मुकेश ने डरते हुए खिड़की से पीछे की अर देखा तो बह भिखारी जोरो से चीख कर बोला ये बस जनम और मृत्यु की चक्कर की हे कई लोग इसके के बंधन में बंधे हुए हे जो इसका सफर आधा अधूरा छोड़ देते हे फिर बह लोग भटक ते रहते हे।

जैसे की में भटक रहा हु और इस जंगल में और भी कई लोग भटक रहे हे। मुझे पता था की हम सब की मुक्ति तुम्हारी द्वारा हि सम्भब हे, बिना डरे हुए आपने सफर पूरा करो और इस बस का तिलस्मी तोड़ दो। ये कहते होते बह बुजुर्ग भुखारी बहा से गायब गया।

जैसे ही बस चली बस में बैठी यात्री मुकेश की आस पास आकर खड़े हो गए। मुकेश डर के कारन आपने आँखे बंद कर ली और मुकेश की कानो में अजीब सी आवाज आ रही थी।

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मनो कोई गहरी सास ले रहा हो। मुकेश की मन में अब डर बहुत ही गहरा आ रहा था। मगर कानो में उस भिखारी बुजुर्ग की आवाज गूंज रहे थी। उसे इस बस की सफर हर हल में पूरा करना ही था।

आपने आपको ये भूतिया बस की जन्घूल से छुड़ाने की साथ साथ मुकेश ने आपने देहरा बना लिया था। बह पूरी तरह से पसीना से भीग चूका था डर के कारन। उसे कुछ भी समझमे नहीं आरहा था बस आँखे बंद किया और बह जल्दी से आपने गांव की आने का इंतजार करने लगा।

कुछ देर के बाद चलती हुयी बस अचानक से रुक गयी। मुकेश ने डरते हुए आखे खोली तो देखा की हल्का हल्का सुबह का उजाला हो रहा था और बह गांव की बस स्टॉप पर था।

और बह देखा की पूरा बस खली थी। उस बस में कोई भी मजूद नहीं था। बह डरते हुए निचे उतरा तो सामने बही भिखारी खड़ा था। तो भिखाड़ी ने कहा मुकेश आज तुम्हारे कारन ये बस और बहुत से लोग मुक्त हो गए हे। धन्यबाद।

उसकी बात सुनकर मुकेश मुस्कुरा दिया। और बह बुजुर्ग उसे आशिर्बाद देते हुए बहा से गायब हो गए। और बसे ही बह बस भी अचानक हवा में गायब हो गयी थी। उस दिन के बाद रात को बो बस कभी भी नजर नहीं आयी।

Conclusion – निष्कर्ष –

आज की “Shapit Bus Horror Stories in Hindi to Read | भूतिया शापित बस की 1 डरावनी सच्ची कहानी” ये कहानियाँ आपको केसा लगा ? अगर आपको ये कहानी अच्छा लगा तो कमेंट करके जरूर बताय। 

क्यूंकि आपका एक कमेंट हमें “Shapit Bus Horror Stories in Hindi to Read” ऐसे ही और भी अच्छी अच्छी कहानियाँ लिखने में प्रेरित करता हे।

 ॥धन्यवाद॥

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