नैतिकता के साथ हिन्दी में “Best 5 Panchtantra ki Kahaniyan | पंचतंत्र की कहानियां” जो बच्चो के बहुत ही पसंद हे और ये सारे कहानियाँ बेहद रोचक और मजेदार हे, जो पढ़कर बच्चो को बहुत आनंद मिलेगा और बहुत कुछ नैतिक शिक्षा प्राप्त होगा। जो आगे चलकर बच्चो की भबिष्य में काम आएगी।
Panchtantra ki Kahaniyan with Moral
मित्रो, जैसा हमें पता हे की हिंदी साहित्य में लोक कथाओं की बिसेष महत्ब हे। हमारा देश की साहित्य में नैतिक कथा में पंचतंत्र का स्थान सबसे पहला माना जाता हे।
श्री बिष्णु शर्मा द्वारा रचित संस्कृत भाषा में भारत का सबसे पहला अमर ग्रन्थ “पंचत्रंत” हे। पंचत्रंत की कहानियाँ को पांच भागो से रचित गया हे। ये पांच तंत्र हे –
- मित्रभेद
- मित्रसम्प्राप्ति
- काकोलूकीय
- लब्धप्रनाश
- अपरीक्षितकारक
बचपन में हम ऐसी मनोरंजन और रोचक नैतिकता के साथ हिन्दी में पंचतंत्र लघु कथाएँ “Panchatantra Stories in Hindi with Moral” सुनते आ रहे हे और हमें बहुत ही आनंद भी मिलता था। कहानियाँ की खास बात हे की, हर कहानी पढ़कर हमें कुछ ना कुछ आछी नैतिक शिक्षा प्राप्त होता हे।
हमारे देश में सबसे ज्यादा बच्चे “Panchtantra ki Kahaniyan” सुनना पसंद करते हे। इसलिए बच्चे की माता-पिता को “Panchtantra ki Kahaniyan – पंचतंत्र की कहानियां” पड़ना या सुनना जरूर चाहिए। ताकि माता-पिता आपने बच्चे को नैतिकता के साथ हिन्दी में पंचतंत्र लघु कथाएँ (Panchtantra ki Kahaniyan with Moral) सुना सके।
प्रियो मित्रो, देर ना करके शुरू करते है आजकी नैतिकता के साथ हिन्दी में पंचतंत्र की “Best 5 Panchtantra ki Kahaniyan” लघु कथाएँ –
1) शेर और भैंस की कहानी – पंचतंत्र की 5 कहानियां

एक बार की बात हे, एक शेर और एक भैंसा बहुत प्यासे थे और दोनों एक नहर में पानी पीने गए। जब दोनों मिले तो इस बात को लेकर विवाद हो गया कि पहले कौन पानी पिएगा।
उन दोनों ने ठान लिया कि यदि वे आपने जीबन भी खो दें तो भी वे प्रितिपक्ष को पहले पानी पीने नहीं देंगे; इसलिए इस बात को लेकर दोनों लड़ने वाले थे, इस समय, शेर और भैंसा ने ऊपर की तरफ देखा की कुछ कौवे और गिद्ध अपने सिर के ऊपर मंडा रहाहे से; शेर और भैंसाने कौवे और गिद्ध को देखा कर समझा कि लड़ाई में जो भी मरेगा बो कौवे और गिद्ध उसका मांस खाएगा, और कौवे और गिद्ध उन दोनों का चारो तरफ इधर-उधर उड़ रहे थे।
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तब शेर और भैंसा की अकाल ढिकाने पर आई; और वे आपस में कहने लगे, कि आ भाई लड़ाई रहने दे, और विवाद करने से कोई लाभ नहीं। कौओं और गिद्धों द्वारा व्यर्थ झगड़ा करके खाए जाने से अच्छा है कि अच्छे मन से दोनों पानी पीकर एहसे चले जाये।
नैतिक शिक्षा:- दो लोगों के झगड़े में तीसरे का फायदा होता है।
2) चोर और कुत्ता की कहानी – Panchatantra ki kahaniyan in hindi

एक चोर एक गृहस्थ का घर में सामान चुराने गया। और बो गृहस्थ का घर में एक कुत्ता पूरी रात ईमनदारी से घर की रखवाली करता है। उस कुत्ते को देखकर चोर ने सोचा कि, यदि यह कुत्ता अपना मुंह बंद ना करेगा तो चिल्लाकर गृहस्थ को जगा देगा, तब मेरी इच्छा पूरी नहीं होगी।
इसलिए पहले इसका मुंह बंद करना होगा। यह विचार करते हुए चोर ने मांस का एक टुकड़ा कुत्ते के सामने फेंक दिया। तब कुत्ते ने चोर को कहा, पहले तो तुम्हें देखकर मेरे मन में बहुत शंका हुई, आपकी हरकतों को देखकर मुझे यकीन हो गया कि आप कोई सज्जन व्यक्ति नहीं हैं।
यह तुम्हारी महत्वाकांक्षा है, मेरा मुंह बंद करो और गृहस्थी की घर पर चोरी करो। अत: यदि तुम आपने भला चाहो तो अभी यहां से चले जाओ। नहीतो तुम्हारा बहुत बुरा हल करूँगा। चोर ने कुत्ता का बात सुनकर बहा से तुरंत चला गया।
नैतिक शिक्षा:- जो धोका देने की हिम्मत करते हैं वे विनम्र ब्यक्ति नहीं होते; उनके मन में बुरे इरादे होता हे।
3) पथिक और कुल्हाड़ी की कहानी – Panchtantra ki kahaniyan hindi mein

एक रास्ते से दो यात्री गुजर रहे थे। उनमें से एक ने कुल्हाड़ी सामने देखकर तुरन्त भूमि पर से उठा लिया, और अपने संगी से कहा, देख भाई! मुझे कितनी अच्छी कुल्हाड़ी मिली है।
फिर उसने कहा, क्या भाई! यह कैसा बात है? मुझे मिल गया ये बात तुम क्यों कह रहे हो? हम दोनों को मिलीं हे। दोनों एक साथ चल रहे हैं, जैसा कि यह कुल्हाड़ी मिला, ये दोनों को होना चाहिए।
दूसरा व्यक्ति बोला, नहीं भाई, यह गलत है। क्या आप नहीं जानते, जिसको जो मिलता है बो उसीका होता है। यह कुल्हाड़ी मुझे मिली है, यह मेरी होनी चाहिए और मैं तुम्हें इसका हिस्सा क्यों दूं? ये बात सुनकर वह चुप रह गया।
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इस समय जो लोग कुल्हाड़ी खो चुके थे वे उसे खोजते हुए उस स्थान पर आए और बो पथिक के हाथ में कुल्हाड़ी देखकर उन्होंने उसे चोर समझकर पकड़ लिया।
तब उसने अपने साथी से कहा, हाय! हम मर गए। उसके साथी ने कहा, यह क्या बात कर रहा है, अब हम मर गए, मुझे बताओ क्यों, मुझे बताओ कि मैं मर गया। जिसको लाभ में हिस्सा देना नहीं चाहते हे, उसे खतरे में डालना गलत है।
नैतिक शिक्षा:- यदि आप लाभ कमाना चाहते हैं तो हानि के बारे में सोचना होगा।
4) चील और कौवा की कहानी – पंचतंत्र की शिक्षाप्रद कहानियां

एक पहाड़ की निचे में कुछ भेड़ें चर रही थीं। एक चील पहाड़ से नीचे आई, और एक भेड़ की बच्चे को पकड़ा और वापस पहाड़ पर चढ़ गई। यह देखकर एक कौवे ने सोचा कि क्यों ना मैं भी इसी तरह जहर एक भेड़ की बच्चे खा लूं। अगर चील कर सकती है तो मैं क्यों नहीं कर सकता?
यह निश्चय करके जैसे ही उसने एक एक भेड़ की बच्चे को पकड़ा, कौवा का पैर के नाखून उस भेड़ के बालों में उलझ गए। कौवा इस रूप में से भेड़ के बालों में बंधा हुआ था और डर के मारे का का करके चिल्लाने लगा।
चरवाहे आदि से अन्त तक सब देखता रहा और कौवा पर हंसता हुआ आया, और मूर्ख कौवे को पकड़कर उसके पंख काट डाले। चरवाहे शाम में, वह कौवे को आपने घर ले आये। चरवाहे के बच्चों ने देखा और पूछा, पिता जी! आप हमारे लिए कौन सा पक्षी लाए हैं?
चरवाहे ने कहा, यदि तुम उस पक्षी से पूछोगे, तो वह कहेगा, मैं चील पक्षी हूं, परन्तु मैं उसे कौवे समझकर लेकर आया हूं।
नैतिक शिक्षा:- आपने ताकत का सटीक ज्ञान होना बेहतर जरुरी है।
5) उदास बूढ़ा और यम की कहानी – Hindi Panchtantra ki kahaniyan

एक बूढ़ा आदमी बहुत उदास था। उसके पास जीविका का कोई साधन नहीं था। वह जंगल में लकड़ी काटता था और उस लकड़ी को बेचकर बहुत तकलीफ से आपने जीबन गुजरा करता था।
गर्मियों में एक दिन दोपहर के समय वह जंगल से सिर पर लकड़ियों का बोझा लिए आ रहा है। भूख से पेट तरफ रहा है, प्यास से छाती फट रही है, तपती धूप में सारा बदन जल रहा है, रस्ते की तपती धूल और रेत में दोनों पैर जल रहे हैं।
अंत में, पूरी तरह से थक कर, उसने अपना लकड़ी का बोझ गिरा दिया और एक पेड़ की छाया में आराम करने के लिए बैठ गया, कुछ देर बाद वह मन ही मन कहने लगा, ‘इतने क्लेश में जीने से अच्छा तो मर जाना अच्छे है, मैं क्यों ना मर जाता, मेरे जैसा बदकिस्मत को मर जाना चाहिए तो सब केलिए मंगल है।
सदा-पीड़ित, अपने हृदय के दुःख से विलाप करते हुए, यम को संबोधित करने लगे, यम! तुम मुझे क्यों भूल गए हो?
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शीघ्र आओ, और मुझे ले चलो, तब ही मेरा उद्धार होगा, मैं और परेशानी को सहन नहीं कर सकता। और इससे पहले कि वह अपना बात समाप्त करें, उनकी सम्मुख यम हाजिर हो जाता हे। बूढ़ा आदमी यम की विशाल शरीर को देखकर डर गया और पूछा, आप कौन हो? और आप यहां क्यूं आए हो?
उसने कहा, मैं यम हूं, आपने मुझे बुलाया था, इसलिए मैं आया हूं, अब मुझे बताओ कि तुम मुझे क्यूं बुला रहे थे। फिर बूढ़ा आदमी ने कहा, महाराज अगरआप आ ही गये हैं तो कृपा करके मेरे सिर पर लकड़ी का बोझा उठा दीजिये, इससे मुझे बड़ा लाभ होगा।
बूढ़ा आदमी की बात सुनकर यम हंसे और अंतर्ध्यान हो गए।
नैतिक शिक्षा:- कुछ मांगने से पहले आछी तरह सोच लें
Panchtantra ki Kahaniyan with Moral – निष्कर्ष
आज की “Best 5 Panchtantra ki Kahaniyan | पंचतंत्र की कहानियां” लघुकथा हमें यह याद दिलाते के, दो लोगों के झगड़े में तीसरे का फायदा होता है, इसलिए आपसमे झगड़ा मत करना।
जो धोका देने की हिम्मत करते हैं वे विनम्र ब्यक्ति नहीं होते, उनके मन में बुरे इरादे होता हे, इसलिए सबधाणी ने रहना चाहिए।यदि आप लालच करते हो तो हानि के बारे में पहले सोचना होगा, क्यूंकि लालच बुरी चीज हे।
आपने ताकत का सटीक ज्ञान होना बेहतर जरुरी है,नहीतो बड़ा मुश्किल में पड़ सकते हो। कुछ मांगने से पहले आछी तरह सोच लें, नहीतो मुसीबत में पड़ जाओगे।
एक शब्द में जितना बुरा होता हे, एक इशारे में उतनाही बुरा हो सकता है। कोई भी काम करने से पहले अच्छी तरह सोच-विचार कर लें, बिना सोचे हुए काम हमेसा असफल होता हे।
दोस्तों हमारे साथ जुड़े रहने केलिए बहुत बहुत ध्यन्यबाद और ये “Best 5 Panchtantra ki Kahaniyan | पंचतंत्र की कहानियां” आपके परिवार और दोस्तों से सझा जरूर करना।
Panchtantra ki Kahaniyan – FAQ
Q. पंचतंत्र की कहानियां बच्चों के लिए क्यों जरूरी मानी जाती हैं?
A. पंचतंत्र की कहानियां सिर्फ मनोरंजन ही नहीं देता हे बल्कि बच्चों के भीतर समझदारी, ईमानदारी, तर्कशीलता और व्यवहारिक ज्ञान की विकसित करती हैं। हर कहानी के अंत में मिलने वाली नैतिक शिक्षा बच्चों के भविष्य में सही निर्णय लेने में मदद करती है।
Q. किया ये 5 “Panchtantra ki Kahaniyan” पंचतंत्र की कहानियां छोटे बच्चों को सुनाने के लिए उपयुक्त हैं?
A. हाँ जरूर, ये पाँचों “Panchtantra ki Kahaniyan” कहानियाँ सरल भाषा, छोटे संवाद और स्पष्ट संदेशों से बनी हैं। माता-पिता इन्हें 4–12 साल तक के बच्चों को आसानी से सुना सकते हैं। कहानी सीख देती है, पर कहानी का आनंद भी कम नहीं होता।
Q. इन 5 Panchtantra ki Kahaniyan के माध्यम से बच्चे कौन-सी मुख्य सीख प्राप्त करते हैं?
A. 5 Panchtantra ki Kahaniyan से हर कहानी एक अलग जीवन-संदेश देती है-
झगड़े से बचना
लालच छोड़ने पर किया मिलता हे
साथ रहने का महत्व किया हे
अपनी ताकत और सीमाओं को समझना
कठिन समय में धैर्य रखना
ये गुण बच्चों के चरित्र निर्माण में बहुत उपयोगी साबित होते हैं।
Q. किया माता-पिता इन “Panchtantra ki Kahaniyan” पंचतंत्र की कहानियों को रोज़ाना नैतिक शिक्षा के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं?
A. हाँ बिलकुल कर सकते हे, ये कहानियाँ “Panchtantra ki Kahaniyan” छोटे बच्चों को प्रतिदिन 5–10 मिनट में सुनाई जा सकती हैं। क्यूंकि हर कहानी में एक छोटा सा नैतिक संदेश है जिसे माता-पिता रोजमर्रा की जीबन से जोड़कर बच्चों को और आसानी से समझा सकते हैं। इससे बच्चा सीख भी जाता है और कहानी का आनंद भी लेता है।
Q. किया पंचतंत्र की ये कहानियां आधुनिक समय में भी प्रासंगिक हैं?
A. जी हाँ बिल्कुल प्रासंगिक हैं! क्यूंकि समय बदला है, पर इंशान की स्वभाव नहीं। दुनिया में आज भी चालाकी, लालच, ईमानदारी, मित्रता और समझदारी की एहिमीअत उतनी ही है जितनी हजारों साल पहले थी। इसलिए पंचतंत्र की कहानियाँ आज की जीबन में भी पूरी तरह लागू होती हैं।


