आज की ये कहानी “Top 5 Best Shikshaprad Kahani” बच्चों की पांच शिक्षाप्रद कहानियां हैं, जो आपको बहुत कुछ सिखाएंगे। नैतिक कहानी से हमें बहुत कुछ सिखने को मिलता हे जो आगे चलकर हमारे भबिष्य में बहुत ही काम आता हे।
Shikshaprad Kahani
प्राचीन शिक्षाप्रद कहानियां | बच्चों की शिक्षाप्रद कहानियां | पंचतंत्र की शिक्षाप्रद कहानियां | नैतिक शिक्षाप्रद कहानियाँ
कहानी तो हम बहुत पड़ते हे लेकिन नैतिक शिक्षा के साथ “Shikshaprad Kahani” जो होता हे उसकी बात ही कुछ अलग होता हे। “Shikshaprad Kahani” हार बच्चे की माता-पिता को उनकी बच्चे को रोज पड़ना चाहिए।
क्यूंकि “Shikshaprad Kahani” से बच्चे की बचपन से ही उसकी मानसिक बिकाश की उन्नति साधन करने में सहायता करता हे। तो दोस्तों, देर ना करके शुरू करते हे आज की “Shikshaprad Kahani” बच्चों की शिक्षाप्रद कहानियां –
1) बिल्ली के गले में घंटी | प्राचीन शिक्षाप्रद कहानियां
Shikshaprad Kahani | बच्चों की शिक्षाप्रद कहानियां | पंचतंत्र की शिक्षाप्रद कहानियां | नैतिक शिक्षाप्रद कहानियाँ
एक बार की बात हे। एक गांव में एक आनाज की गोदाम घर में बहुत सारे चूहा रहता था और उस गोदाम की मालिक ने एक बिल्ली को पाल कर रखा था उस गोदाम की देखभाल करने केलिए।
सारे चूहा बिल्ली की बजह से बहुत परेशान थे। बिल्ली की बजह से चूहा आपने बिल से बाहार आनेकी हिम्मत नहीं करता था। एक प्रकार देखा जाये तो सारे चूहा की खाना पीना बंद हो गया था बिल्ली की बजह से।
एकदिन सारे चूहा मिलकर एक बैठक का आयोजोन किया। उस बैठक का मुख्य बिषय था की बिल्ली से कैसे छुटकारा पाया जाये। सभी ने बैठक में आपने आपने सलहा दिया।
लेकिन किसीका भी सलहा बिल्ली से छुटकारा पाने केलिए उपयुक्त नहीं था। उनमसे एक बुद्धिमान चूहा में कहा बिल्ली का गले में एक घंटी बांध दिया जाये। घंटे की आवाज सुनकर हम सभी ने समझ जायेंगे की बिल्ली हम लोगो को खाने केलिए आ रहा हे।
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और हम सभी ने उसी बक्त साबधान हो जायेंगे तो बिल्ली ने हम किसीको भी पकड़ नहीं सकता। उनका ये सलहा सुनकर बाकि सभी चूहा ने तालिया बजाई और साबासि दिया। और कहा की जितना जल्दी हो सके बिल्ली की गले में घंटी बांध दिया जाये।
एक बुड़ा चूहा अभी तक बाकि सभी चूहा की बाते चुप चाप सुन रहा था। बुड़ा चूहा ने कहा अभी तक बह चूहा ने जो सलहा दी बो सलहा बहुत ही बुद्दिमान सलहा हे और ऐसा करने से हम सभी की समस्या की समाधान हो जायेगा।
लेकिन में ये पूछ रहा हु की, हम में से कौन बिल्ली की गले में घंटी बांध ने केलिए जायेगा? बुड़ा चूहा की ये बात सुनकर बाकि सभी चूहा एक दूसरे की मुँह ताकने लगा और निराश होकर चुप चाप रहकर अपने अपने बिल में घुश गया।
नैतिक शिक्षा: “कई भी चीज में सलहा देना सरल हे लेकिन उस सलहा को बास्तब में रूपांतरित करना बहुत कठिन हे।”
2) बगुला और शेर की कहानी | नैतिक शिक्षाप्रद कहानियाँ
प्राचीन शिक्षाप्रद कहानियां | बच्चों की शिक्षाप्रद कहानियां | पंचतंत्र की शिक्षाप्रद कहानियां | Shikshaprad Kahani
बहुत पुरानी बात हे, एक जंगल में एक शेर रहता था और बह शेर शिकार करके खाने की बक्त उसकी गले में एक हड्डी अटक गया था। शेर ने बहुत कोसिस किया गले से हड्डी निकलने केलिए लेकिन उसका सारा कोसिस बर्थ हो गया।
दर्द की मारे इधर उधर दौर ने लगा। शेर जो भी जनबरो को देखता हे उसीसे कहता हे, भाई यदि तुम मेरा गले से हड्डी निकल कर दोगे तो में तुम्हे बहुत ही अच्छा उपहार दूंगा और में जीबन भर तुम्हारा गुलाम बनकर रहूँगा।
कोई भी जानबर शेर की डर की बजह से राजी नहीं हुआ। आखिर में एक बगुला ने उपहार की लालच में राजी हुआ और शेर की मुँह में आपने लम्बा चोंच घुसाकर बहुत आरामसे हड्डी बाहार निकला।
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शेर को आराम मिला। बगुला जब शेर से उपहार माँगा तब शेर ने आँखे लाल करके कहा, मुर्ख बगुला, तू शेर की मुँह में आपने चोंच घुसकर बिना डरे चोंच बाहार कर लिया। मुझे ध्यनबाद ना कहकर उल्टा उपहार मांग रेहे हो।
यदि बचने की इच्छा हे तो मेरा सामने से चला जा नहीं तो अभी खा जाऊंगा। बगुला शेर की ये बात सुनकर डर की मारे बहा से चला गया।
नैतिक शिक्षा: “बेईमान के साथ ईमानदारी करना समझ दार बाली बात नहीं हे।”
3) कौवा चला मोर बनने | पंचतंत्र की शिक्षाप्रद कहानियां
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एक बार की बात हे, एक जंगल में बहुत सारे मोर पूछ पड़ा था। एक कौवा मोर पूछ को देखकर सोचा की अगर ये मोर पूछ को में आपने पंख में लगा लू तो मुझे भी देखने मोर की तरह सुन्दर लगेगा।
ये सौचते हुए कौवा ने मोर पूछ को आपने पंख में लगा लिया। और कौवा ने जब बाकि सभी कौवा की झुण्ड के पास गया तो बह कौवा ने कहा देख मुझे कितना अच्छा लगरहा हे और तुम सब कितना बदसूरत लग रहेहो।
ये कहकर बह कौवा ने बहा से चला गया और मोर की झुण्ड में चला गया। सभी मोर ने कौवा को देखकर तुरंत समझ गया की बह एक कौवा हे जो हमारा पूछ को उसकी पंख में लगाया।
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मोर ने कोबे की पंख से एक एक करके मोर पूछ निकल लिया और अपमान करिया सभी मोर ने आपने चोच से कौवा को मारने लगा। कौवा की शरीर दर्द के मारे तरप ने लगा।
आखिर में कौवा ने बहा से चला गया। और अंत में बह कौवा ने निराश होकर कौवा की झुंड में बापस चला गया। उसे देखकर बाकि कौवा ने उपहास करके कहा, मुर्ख तू मोर पूछ पाकर हम सभी को अपमान करके बदसूरत कहकर यह से जाकर मोर की झुंड में मिलने के लिए गया था।
बहा से अपमानित और मार खाकर भाग के बपाश फिर से हमारे साथ मिलने केलिए आया। तू बहुत ही बेशर्म हे। इस तरहा अपमानित करके सभी कौवा ने उसको झुण्ड से भगा दिया।
नैतिक शिक्षा: “जो जिस हालत में हे उसे उसीमे संतुस्ट रहना चाहिए नहीं तो उसे किसीके पास अपमानित होना पड़ेगा।”
4) सांप और किसान की कहानी | बच्चों की शिक्षाप्रद कहानियां
उस समय सर्दी का मौसम था। एक किसान ने सुबह सुबह खेत में काम करने केलिए जा रहा था। उस बक्त उसे एक बुरी हातात में एक सांप को देखा। सांप को देखकर किसान को उसके ऊपर दया आया और उसे आपने साथ आपने घर में लेकर आया।
घर में आने की बाद उसे दबा और खाना देकर उसे मरने से बचाया। सांप आपने नया जीबन पाकर दोबारा फिर से आपने रूप में बपाश आकर किसान की बच्चे को देखकर उसे काटने केलिए फ़न उठाया।
किसान सांप की ये बर्ताब देखकर गुस्सा में आकर कहने लगा, मुर्ख तू बहुत ही निर्दय हे, तू मरने बाला था, तुझे मरने की हालत में देखकर में तुझे अपने घर में लेकर तुझे नया जीबन दिया।
तू बो सब भूलकर मेरे छोटे बच्चे को काटने केलिए जा रहा हे। समझ गया जिसका जो स्वभाब हे बो कोई भी हालत में नहीं बदलता। खेर, तूने जो कर्म किया हे अब उसका फल भोग कर।
ये कहकर किसान ने कुडारी निकलकर सांप की मस्तक पर प्रहार किया और सांप ने एक कुडारी का प्रहार में अपना प्रान त्याग किया।
नैतिक शिक्षा: “जो जिसका स्वभाब हे, किसी भी परिस्थिति में परिबर्तन नहीं होता।”
5) लालची कुत्ता की कहानी | Shikshaprad Kahani
एक बार की बात हे, एक कुत्ता ने खाने की तलाश में एक गांव की तरफ गया। बहा एक कषाय की दुकान से एक मास की टुकड़ा लेकर भाग कर जंगल की तरफ आने लगा।
गांव और जंगल की रस्ते में जाने केलिए एक नदी की पुल से गुजर ना पड़ता हे। कुत्ता ने जब नदी की पुल पार होने केलिए पुल पे चड़ा तब नदी की सव्च्छ पानी में उसीका परछाई दिखाई दी।
कुत्ता ने सोचा एक मास की टुकड़ा लेकर दूसरा कुत्ता लेकर जा रहा हे। बह कुत्ता उस मास की टुकड़ा की लालच में नदी में छलांग लगा दी। लालच में आकर कुत्ता ने अपने मुँह का भी मास का टुकड़ा गाबा दी।
कुत्ता ने कैसे भी करके आपने जान बचाकर नदी पार करके किनारे में आया। कुत्ता अपने ज्यादा लालच की बजह से फ़ी से भूखा रहे गया।
नैतिक शिक्षा: “ज्यादा लालच नुकसान की कारन बनता हे।”
Conclusion – निष्कर्ष –
आज की “Top 5 Best Shikshaprad Kahani | बच्चों की शिक्षाप्रद कहानियां | पंचतंत्र की शिक्षाप्रद कहानियां | नैतिक शिक्षाप्रद कहानियाँ” ये कहानियाँ आपको केसा लगा कमेंट करके जरूर बताना।
आज की “Shikshaprad Kahani” का उद्देश्य हे की, भगबान ने हमें जैसे बनाया, उसीमे ही खुश रहना चाहिए। हमें ज्यादा लालच नहीं करना चाहिए क्यूंकि ज्यादा लालच मुसीबत का कारन बनता हे।
॥धन्यवाद॥
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