5 Best Small Panchatantra Stories in Hindi | पंचतंत्र की नैतिक कहानियाँ

आज में “5 Best Small Panchatantra Stories in Hindi | पंचतंत्र की नैतिक कहानियाँ” बताऊंगा जो हर कहानी में आपको नैतिक कथा सीखने को मिलेगा। ये 5 कहानी पंचतंत्र की नैतिक मूलक कहानी हे। नैतिक कहानी पड़नेसे बच्चो और बड़े सबके लिए बहुत लाभ दायक हे।

“Small Panchatantra Stories in Hindi” क्यूंकि पंचतंत्र की नैतिक कहानी में हमें बह शिक्षा देते हे जिससे हम एक सफल ब्यक्ति बननेकी रास्ता प्रदर्शन करता हे। पंचतंत्र की नैतिक कहानी पुराने जमाना से आज तक और आगे भी लोक प्रिय था और रहेगा। 

Small Panchatantra Stories in Hindi

पंचतंत्र की नैतिक कहानी बचपन से ही सुनते आरही हु और ये कहानी इतने मजेदार और रोचक हे की बहुत अच्छा लगता हे। और जीबन में एक अच्छा ईमानदार इंसान बनाने केलिए ये कहानी सबसे उच्च स्थान में हे।

पढ़ाई लिखाई के साथ साथ बच्चो की माता-पिता को पंचतंत्र की नैतिक कहानी भी सुनना चाहिए या पड़ना चाहिए ताकि बह पहले से ही एक अच्छा नैतिक शिक्षा प्राप्त कर सके। (Small Panchatantra Stories in Hindi)

पंचतंत्र की नैतिक कहानियाँ आचार्य बिष्णु शर्मा 

प्राचीन भारतीय की संस्कृत के लेखक ज्ञानी महान विज्ञान ब्राह्मण पंडित श्री आचार्य बिष्णु शर्मा पंचतंत्र की नीति पुस्तक की लेखक हे। ज्ञानी महान पंडित श्री आचार्य बिष्णु शर्मा दक्षिण भारत की महिलाराज्जो नमक नगर में रहते थे।

महिलाराज्जो की राजा अमरशक्ति के तीन पुत्र था। और उसका तीनो पुत्र पढ़ाई लिखाई में बिलकुल मन नहीं था इसलिए राजा अमरशक्ति बहुत परिसन था। और तभी राजा अमरशक्ति ने महान विज्ञान ब्राह्मण पंडित श्री आचार्य बिष्णु शर्मा को आपने सभा में आमत्रित किया। 

राजा ने महान विज्ञान ब्राह्मण पंडित श्री आचार्य बिष्णु शर्मा को आपने तीन पुत्र को उनके आश्रम में शिक्षा देने का बिनती की और आचार्य बिष्णु शर्मा ने राजा की बात मन कर तीनो बच्चो को उनके आश्रम लेकर गया और उनकी शिक्षा सुरु कर दी।

तभी से पंचतंत्र की पांच समूह में उनको शिक्षा देना सुरु कर दिया। पंचतंत्र ये पांच भाग लगभग 2000 साल पहले रचना किया गया था। 

1) पेटू चूहा की कहानी 

Small Panchatantra Stories in Hindi
Small Panchatantra Stories in Hindi

एक बार की बात हे, कोई एक गांव में चूहा की एक परिबार रहता था। बह परिबार गुलमिलाके चार सदस्य था। पीकू और उसके माँ-बाप और उसका एक छोटा बेहेन।  पीकू को भोजन करना बहुत ही पसंद था। बह हर समय खाना खाकर और शो कर गुजरा करता था। बह हर समय खता था फिर भी उसका दिल नहीं भरता था।

उसका इस हरकत की बजह से उसका परिबार का बाकि सब चूहा बहुत परिसन था। एकदिन जब पीकू खाना खा रहा था तब उसका माँ ने कहा, बेटा ज्यादा खाना मत खाओ तबियत ख़राब हो जायेगा। 

उसकी माँ की बात सुनकर पीकू ने कहा, नहीं माँ मुझे कुछ नहीं होगा। अगला दिन पीकू का एक दोस्त रिकू का जन्म दिन था और कुछ देर बाद ही रिकू ने पीकू के घर पे आकर पीकू को कहा, दोस्त कल मेरा जन्म दिन हे और में आपने घर पर पार्टी रखा तुम जरूर आना।

पीकू ने कहा हा दोस्त में जरूर आऊंगा। ये सुनकर रिकू बहा से आपने घर चला गया। अगला दिन पीकू ने रिकू के घर पर जन्म दिन का पार्टी में आया और बहा आकर आपने भूख को और खाने की लालच को रोक नहीं पाया और रिकू की जन्म दिन का सारा केक खाने लगा।

और तभी सारा चूहा ये देखकर पीकू की ऊपर बहुत गुसा किया और बोला की तुमने अकेला सभी केक खा लिए और पार्टी होने से पहले हम लोग केलिए कुछ भी नहीं छोड़ा। सभी ने पीकू को पार्टी से जाने केलिए कहा।

और पीकू ये सुनकर आपने घर की तरफ आने लगा। इतना होने की बाबजूद भी पीकू ने खाने की आदत नहीं छोड़ा। अगले दिन पीकू का एक दूसरा दोस्त टुनटुन उससे मिलने पीकू के घर पर आये और टुनटुन ने पीकू को कहा दोस्त, चलो चबल खेत पे। किशन की खेत पे बहुत अच्छा चबल हुआ हे।

हमको बहुत अच्छा खानेको मिलेगा। पीकू ने ये बात सुनकर कहा, देर किस बात की जल्दी चलो बहुत ही मजा आएगा। बह दोनों आस पड़ोस की बाकि दोस्तों को भी बुला लिया और देर ना करके जल्दी चबल की खेत पर चला गया।

खेत पर जाकर सभी ने खाने के लिए टूट परे और सभी ने भरपेट खाना खाया। इतना खाना खाकर भी पीकू का पेट नहीं भरा। तभी टुनटुन ने कहा पीकू सभी ने पेट भरकर खाना खा किया अब जल्दी घर चलो नहीं तो किशन आ जायेगा।

टुनटुन की बात सुनकर पीकू ने कहा इतना जल्दी बाजी क्यों कररहे हो हमें आराम से खाने दो। ये बोलकर पीकू ने फिर से खाना खाने लगा। ये देखकर टुनटुन ने कहा जल्दी कर, पीकू ने कहा हा हा ठीक हे जल्दी कर रहा हु।

तभी बाकि चूहा ने भागो भागो बिल्ली आ गया, ये कहते हुए भागने लगा लेकिन पेटू चूहा ने बहुत धीरे धीरे जा रहा था क्यूंकि बह इतना खाना खाने की बजह से बह भाग नहीं पा रहा था।

और पीकू ने बाकि दोस्तो से कहा मुझे भी साथ में ले चलो और तभी पीकू का पैर एक रस्सी में उसका पैर अटक गया। पीकू ने बहुत कोशिस कर रहा था लेकिन तभी बह बिल्ली पीकू तरफ आने लगे।

बिल्ली ने पेटू चूहा को देखकर कहा, बा कितना अच्छा चूहा हे, आज मुझे पेट भरकर भोजन करने को मिलेगा। बिल्ली ने पेटू चूहा को कहा, आज तुझे मुझसे कौन बचाएगा, में तुझे मजे से खाऊंगा।

और बिल्ली ने इतना केहेतेहि पेटू चूहा ने रस्सी से अपने पैर को छुरा कर जान बचने भागने लगा। ये देखकर बिल्ली ने भी उसका पीछे पीछे भागने लगा। लेकिन बिल्ली ने पेटू चूहा को नहीं पाकर पाया क्यूंकि थोड़ी दूर जाने के बाद पेटू चूहा ने जमीन की अंदर एक छिद्र में घुस गया था।

पीकू को आपने गलती का एहेसास। और सभी दोस्तों से माफ़ी मांगी और कहा आज से में खाने की लालच छोड़ दूंगा। 

नैतिक शिक्षा : “किसी भी चीज पे ज्यादा लालच हमेशा हानिकारक होता हे।”

2) साँप और कौआ की कहानी

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कोई एक समय की बात हे, एक जंगल में बड़ा सा बरगत की पेड़ में पति और पत्नी एक जोड़ी कौआ रहता था। जंगल में एक साँप घोसला ढूंढ़ते ढूंढ़ते बही बरगत की पेड़ की निचे छोटा सा छिद्र में घुस हेय और बो बही रहने लगा।

कौआ ने नया पड़ोसी साँप को देखकर बहुत चिंतित में पर गया। बह दोनों कौआ ने जंगल की बाकि दोस्तों के साथ इस बिषय में सलहा परमश की और सबको बह साँप से सबधाणी बरतने को कहा। क्यूंकि साँप सबका बच्चो को खा सकता हे।

दोनों में से पत्नी कौआ ने कहा, में कैसे अंडा दू अगर साँप ने मेरा सभी बच्चो खा ले तो, हम को दूसरा को जगह ढूढ़ना पड़ेगा, नहीं तो साँप ने हमारा बच्चो को खा लेगा। 

बड़ी दुःख के साथ पति कौआ ने कहा, साँप ले लिया हम हमारा घर नहीं छोड़ेंगे हम दूसरा उपाय सोचेंगे। थोड़ी दिन के बाद माँ कौआ ने तीन अंडा दिया और अंडे से कुछ दिन बाद तीन छोटा छोटा बच्चा हुआ।

साँप ने उस कौआ की बच्चे की आवाज सुन के बहुत ही खुश हुआ। अगले दिन जब दोनों कौआ ने उसका घोसला से बाहर निकला खाने की तलाश में तब लालची साँप ने धीरे धीरे आकर कौआ की सभी बच्चो को खा लिया।

बह दोनों कौआ जब शाम को बापस घोसलो में आया तब देखा की उनका तीनो बच्चे घोसलो में नहीं हे, ये देखकर दोनों कौआ ने हैरान हो गया और माँ कौआ ने रोने लगा और बाबा कौआ ने कहा, मत रोना में उस साँप को उचित शिक्षा दूंगा।

अगले दिन सुबह बाबा कौआ ने एक ज्ञानी लोमड़ी के पास जाकर सब कुछ बताया और कहा, लोमड़ी भाई मुझे इसका उपाय बताईये? 

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लोमड़ी ने कहा की, जंगल की पीछे की तरफ जो नदी हे बहा रानी जी ने रोज सुबह नहाने आता हे और रानी ने उनका हिरे की हार को उतर कर नहाते हे। तुम रानी की उस हिरे को लेकर उस साँप की घोसला में फेक देना।

कौआ ने लोमड़ी की बात मन कर नदी के किनारा पे एक पैर की बैठ कर रानी जी का इंतजार करने लगा। कुछ देर बाद रानी और उसके साथ दोनों सेना ने नदी पर आये।

और सेना थोड़ा दूर पर खड़ा हुआ। और जैसे ही रानी ने हिरे की हार उतर कर नहाने के लिए गया उसी समय कौआ ने बो हिरे की हार को लेकर उड़ने लगा। 

रानी की दोनों सेना ने जब कौआ को हिरे की हार ले जाते हुए देखा तब दोनों सेना भी कौआ की पीछे पीछे जाने लगा और देखा की कौआ ने एक साँप की घोसलो में बो हिरे की हार को फेक दिया। 

ये देखकर दोनों सेना ने उसका हाथ में जो लाठी था उससे साँप की गोसलो में बो हिरे की हार ढूढ़ने लगा। लाठी की मार खाकर साँप ने डर के मारे घोसलो से बहार निकल कर बहा से भाग गया। और बह साँप  कभी भी उस जंगल में बापस नहीं आये।

और बो दोनों सेना ने हिरे की हार लेकर रानी जी को दे दिया और रानी जी ने खुस होकर बो दोनों सेना को इनाम दिया।

नैतिक शिक्षा : “मुसीबत की समय आपको ठंडे दिमाग से काम लेना होगा।”

3) चारो दोस्त की कहानी

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चार दोस्त की ये “Small Panchatantra Stories in Hindi” कहानी बहुत ही दिलचस्त हे। एक बार की बात हे, चार दोस्त थे, उनमें से तीन बहुत पड़े-लिखे थे, केलिन चौथा पड़े-लिखे नहीं था। बो चारो दोस्त एक दूसरेको बहुत ही पसंद करता था। और दिन का काफी बक्त एक साथ ही बीतता। और बो चारो दोस्त बहुत सारा पैसा कामना चाहता था। 

इसलिए चारो दोस्त ने यात्रा पर जाने की फैसला किया। अगले दिन ही बो चारो दोस्त यात्रा पर निकल गया। और एक जंगल की रस्ते से जाते बक्त देखा की एक जानबर की शब् की हड्डी चारो और फैला हुआ हे।

और उन्हने सोचा की यह अपनी बुद्धि का उपजोग करने का सही बक्त हे। पहला दोस्त ने कहा की, में जनता हु की कैसे जानबर की चमड़ी, मांस, और हड्डी इकट्ठा करूँगा, दूसरा ने कहा की में इस मरे हुए जानबर में खून दूंगा और तीसरा ने कहा में इस मरे हुए जानबर में जीबन दूंगा।

बह तीनो ये सब करते हुए शामिल हो गया। पहला और दूसरा दोस्त ने चमड़ी, मांस, हड्डी और खून दे कर उसको एक जानबर की आकर बनाया। जानबर की आकर जैसे ही बन गया देखा तो बह एक मरा हुआ शेर था।

चौथा दोस्त ने तीसर दोस्त से कहा, कृपा करके इसे जीबित मत करो नहीतो बह शेर जीबित होकर हम सबको मर देगा। लेकिन तीसरा दोस्त ने नहीं सुनी और अपनी ताकत जाहिर करना चाही। ये देखकर चौथा दोस्त ने भाग कर दूर में एक पेड़ के ऊपर चढ़ गए।

जैसे ही तीसरा दोस्त ने शेर को जीबित किया बह शेर तुरंत तीनो दोस्त की ऊपर टूट पड़ा और तीनो को मार कर खा गया। 

नैतिक शिक्षा : “बास्तबिक बुद्धि ज्ञान से बेहतर हे।”

4) बोलने बाली गुफा की कहानी 

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एक चालक लोंदी और एक मुर्ख शेर की ये “Small Panchatantra Stories in Hindi” कहानी बहुत ही मजेदार और रोचक हे। एक बार की बात हे, एक जंगल में एक शेर रहेता था। हमेशा की तरह शेर शिकार करने निकला लेकिन उसे कुछ भी नहीं मिला। 

आखिरकार शेर ने एक गुफा में पहुँचा और अंदर जाकर इंतजार करने लगा, यह सोचकर की कोई जानबर बहा रात बिताने आएगा और में उसे खा जाऊंगा।  लोमड़ी जो उस गुफा में रहती थी बह गुफा की और आ रही थी लेकिन अचानक शेर की पेरो की निशान देखकर बह रुक गयी। 

लोमड़ी को एहसास हुआ की कोई तो इस गुफा की अंदर हे। लोमड़ी ने एक तरकीब निकली, बह कहा शुभ संध्य? किसीने उत्तर नहीं दिया शेर चुप चाप बैठा रहा।

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चतुर लोमड़ी ने फिर से कहा, हे गुफा रोज तुम मुझे उत्तर देते हो, लेकिन आज किया हुआ उत्तर क्यों नहीं दे रहेहो? 

यह सुनकर शेर ने कहा की, अगर यदि मेने उत्तर दिया तो लोमड़ी अंदर आ जाएगी। ये सोचकर शेर ने उत्तर दिया। शेर की उत्तर से चालक लोमड़ी हंसने लगा और कहा, मुर्ख शेर, गुफा कभी बात नहीं करती।

ये कहकर चालक लोमड़ी बहा से भाग गया और लोमड़ी की ये बात से सर्मिन्दा हो कर मुर्ख शेर बो गुफा से बाहर चला गया।  

नैतिक शिक्षा : “मुर्ख का कोई मित्र नहीं होता।”

5) एक चूहे की कहानी

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एक चूहा और साधु की ये “Small Panchatantra Stories in Hindi” कहानी बहुत पुराणी हे। गंगा नदी के किनारे बहुत साधु सन्यासी रहते थे। और बह सरे साधु सन्यासी के नेता बहुत बुद्धिमान साधु थे। एक दिन जब बह साधु गंगा की तट पर बैठे ध्यान कर रहे थे, तब एक छोटा चूहा उनके पास आकर सामने बैठे गया।

साधु ने बह चूहा को देखकर कहा, कितना प्यारा देखने बाला चूहा हे ये, में उसे आपने घर पे लेकर जाऊंगा। उसने अपनी जादूवी शक्ति से उस चूहे को एक छोटी लड़की बना दिया। और साधु ने बो लड़की को आपने घर ले कर गया और पत्नी को दिया और कहा की यह हमारी बेटी हे, इसे बहुत ही प्यार से पालो।

सालो बीत गया और बह लड़की दुनिया का सबसे खूबसूरत लड़की बन गया। साधु और उनकी पत्नी ने सोचा की अब हमारे लड़की बहुत बड़ा हो चुकी हे अब उसका शादी करबाना चाहिए।

हमारी बेटी की शादी दुनिया के सबसे शक्तिशाली पुरुष से होनी चाहिए। मुझे लगता हे की सूर्य उसके लिए एक योग्य पात्र होगा? 

साधु ने आपने जादू से सूर्य को बुलाया और उसे आपने बेटी से शादी करने को कहा? लेकिन लड़की ने कहा की नहीं पिता जी में उनसे शादी नहीं कर सकता बह बहुत गरम हे, मुझे उनसे बेहतर कोई चाहिए।

यह सुनकर साधु को बहुत ही दुःख हुआ। सूर्य कहते हे की, आप आपने बेटी को शादी आसमान से करबा सकती हे बह बहुत ही ठंडा हे। साधु ने मेघ को निचे आकर अपनी बेटी से बिबाह करने को कहा लेकिन लड़की ने कहा बह बहुत कला हे में उनसे बिबाह नहीं कर सकता।

आसमान ने कहा की तुम्ह पाहार क्यों पसंद नहीं कर रहे हो, पाहार बहुत लम्बा और बहुत मजबूत हे। साधु ने पाहार को अआपने पास बुलाया और कहा की तुम मेरी बेटी से बिबाह करो?

लेकिन फिर से साधु की बेटी ने ये बिबाह करने से मन कर दिया और कहा, पिताजी बह बहुत कठोर और लम्बा हे, मुझे ये पसंद नहीं हे। तब पर्बत ने कहा की चूहा मुझसे बड़ा हे। यह सच हे की में महँ और बलबन हु लेकिन चूहा भी मुझमे बिल खोदता हे।

साधु ने चूहा को बुलाया, जैसे ही बह लड़की चूहा को देखा तो खुसी से झूम उठा और कहा की पिता जी मुझे इसीसे शादी करूँगा। साधु ने थोड़ी देर केलिए सोचा और अपनी जादुई शक्ति से लड़की को बापस चूहा बना दिया।

जल्द ही दोनों ने शादी कर ली और ख़ुशी ख़ुशी रहने लगा। 

“जीबन की ख़ुशी तब मिलती हे जब दोनों का मन मिलता हे।”

Conclusion – निष्कर्ष –

आजकी कहानी “5 Best Small Panchatantra Stories in Hindi | पंचतंत्र की नैतिक कहानियाँ” आपको केसा लगा कमेंट कार्कले जरूर बताना। आज की पंचतंत्र की नैतिक कहानियाँ का उद्देश्य था कीआपने जीबन में कोई भी मुसीबत या संकट आये तो हमेशा आपने दिमाग को ठंडा करके सोच बिचार करके सिद्धांत लेना, ताकि बाद में पसतबा ना हो। (Small Panchatantra Stories in Hindi)

Small Panchatantra Stories in Hindi FAQ

एकता का बल, शेर और खरगोश की कहानी।
चींटी और कबूतर की कहानी।
पंचतंत्र के पांच तंत्र - 1) मित्रभेद 2) मित्रलाभ या मित्रसंप्राप्ति 3) संधि-बिग्रह/काकोलुकियाम 4) लब्ध प्रणाश 5) अपरीक्षित करक
पंचतंत्र कहानी का अर्थ नैतिक शिक्षा प्रदान करना।

 ॥धन्यवाद॥

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