आज की “Top 2 Best Chalak Lomdi Story in Hindi with Moral” चालाक लोमड़ी की ये दो कहानी बहुत ही मजेदार और रचोक होने बाला हे। क्यूंकि लोमड़ी की कहानी बसे ही मजेदार और रोचक होता हे।
Chalak Lomdi Story in Hindi with Moral
“Top 2 Best Chalak Lomdi Story in Hindi with Moral” चालाक लोमड़ी की ये दो कहानी से दो बहुत ही अच्छा सिख मिलने बाला हे। नैतिक कहानिओ से जो सिख हमें मिलता हे बह सर्बदा हमारे हित के लिए ही होता हे।
आज की ये “Top 2 Best Chalak Lomdi Story in Hindi with Moral” चालाक लोमड़ी की दो कहानी पढ़कर बच्चो को बहुत ही मजा और आनंद आने बाला हे। तो चलिए दोस्तो देर ना करके शुरू करते हे आजकी कहानी “Chalak Lomdi Story in Hindi with Moral” –
सारस और लोमड़ी की कहानी | हिंदी कहानी मजेदार | Moral Story in Hindi
चालाक लोमड़ी कहानी इन हिंदी | Moral Story in Hindi | Chalak Lomdi Story in Hindi with Moral
बहुत पुरानी बात हे, एक जंगल में एक लोमड़ी और जंगल की पास एक नदी की किनारे में एक सारस रहता था और उन दोनों में बहुत ही गेहेरा दोस्ती था। एकदिन लोमड़ी घूमते घूमते जंगल के पास एक नदी की किनारे में आकर पहुंचा।
बहा बहा लोमड़ी ने उसका पुराना दोस्त सारस को थोड़ा दूर में देखा। चालाक लोमड़ी ने सोचा बहुत दिन बाद में दोस्त मिले हे उसके साथ थोड़ा मजाक कर लेता हु।
लोमड़ी धीरे धीरे सारस की पास पहुंचते ही पूछा “केसा हो दोस्त” बहुत दिन बाद तुम्हारे साथ मुलाकात हुआ। सारस ने कहा ठीक हु। आप सुनाइए आप कैसे हो?
लोमड़ी ने कहा में भी ठीक हु। दोस्त सारस, काल मेरा जन्मदिन हे, और तुम्हारा काल सुबह मेरे घर में निमंत्रण हे, जरूर आना। सारस ने कहा ठीक हे काल में सुबह सुबह तुम्हारे घर में पहुंच जाऊंगा।
लोमड़ी ने सारस को निमंत्रण करके बापस आपने घर में चला गया। अगला दिन सुबह सुबह सारस ने लोमड़ी की घर में पहुंचते ही दरबाजा खाट खटाई। लोमड़ी बाहार आकर बड़ा ही प्यार में सारस को घर की अंदर लेकर गया।
घर में आने के बाद कहा सारस भाई बुरा मत मानना, मुझे बाहार से आने में थोड़ा देर हो गया इसलिए ज्यादा कुछ खाना नहीं बना पाया। सिर्फ थोड़ा कुछ सेरबा पकाया। आप कुर्सी पर बैठिये में आपके लिए खाना पड़ोसती हु।
सारस ने आराम से कुर्सी पर बैठा। और लोमड़ी ने दो थाली निकला और उस थाली में सेरबा पड़ोस दी। एक थाली सारस को दिया और दूसरा थाली लेकर लोमड़ी खुद खाने लगा।
लोमड़ी अपने लम्बा जीभ से चाट चाट कर कर आराम से सेरबा खाने लगा लेकिन सारस बहुत मुश्किल में पड़ गया। सारस की लम्बा चोंच से सेरबा कैसे खा सकता हे। सारस ने सेरबा नहीं खा सका।
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लोमड़ी ने सब सेरबा खा कर मजाक से कहा, किया हुआ सारस भाई कुछ भी नहीं खाया? में आपके लिए बहुत प्यार से सेरबा बनाया था और तुम बह भी नहीं खा सका?
लोमड़ी ये बात सुनकर सारस की पूरा बदन गुस्सा में जल रहा था। और मन ही मन में कहने लगा, तूने निमंत्रण की नाम करके मुझे धोका दिया हे और ऊपर से मुझे देखकर मजाक कर रहा हे?
सारस बहा गुस्सा ना दिखाकर मुस्कुराते हुए लोमड़ी को कहा, लोमड़ी भाई आप इतना अच्छा सेरबा पकाया जो मुँह में देने की जरुराण नहीं पड़ा, सेरबा की सुगंध से ही मेरा पेट भर गया।
सारस ये कहकर लोमड़ी की घर से चला गया। रस्ते में जाते जाते सारस ने मन ही मन में सोचता रहा लोमड़ी की अपमान का बदला कैसे लिया जाये? ये सोचते सोचते सारस की दिमाग में एक बुद्धि आया और बह मन ही मन में हसने लगा।
सारस ने सोचा की अब लोमड़ी को सही जबाब देनी की तरकीब मुझे मिल गया। कुछ दिन बीत गया। एकदिन साम की बक्त सारस ने लोमड़ी की घर में आया और लोमड़ी को कहा,
लोमड़ी भाई काल मेरा जन्म दिन हे और मेरा जन्मदिन की अबसर पर आपकी मेरा घर में निमंत्रण हे। आपको आना ही पड़ेगा। लोमड़ी ने कहा, दोस्त आपकी जन्मदिन हे और नहीं आऊंगा, ये हो सकता हे? में काल सुबह आपकी घर में जरूर आऊंग।
सारस ने लोमड़ी को निमंत्रण करके बापस आपने घर में चला गया। अगले दिन लोमड़ी सुबह थोड़ा देर में पहुंचा सारस की घर। सारस ने कहा भाई इतना देर क्यों कर दिया?
में आपके लिए सुबह से खाना लेकर इंतजार कर रहा हु। आईये जल्दी आईये। ये कहकर प्यार से सारस लोमड़ी को घर की अंदर लेकर आया और एक कुर्शी में बैठने को कहा।
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सारस ने संकीर्ण मुँह बाला दो घड़ा में मास का टुकड़ा भर कर रखा था। उसी दो घड़ा को लेकर आया और एक घड़ा लोमड़ी को दिया और एक घड़ा सारस ने लिया।
सारस ने आपने लम्बे चोंच से आराम से घड़ा से मास का टुकड़ा खाने लगा और लोमड़ी का मुँह उस संकीर्ण घड़ा की अंदर नहीं घुसा पाया। बहुत कोसिस की लेकिन लोमड़ी ने उस घड़ा की अंदर आपने मुँह नहीं डाल पाया।
लोमड़ी ने सारस को खाते देखकर दर्द भरी आखो से देखने लगा और भूख की मारे घड़ा को चाटने लगा। सारस खाना खाकर गम की नाटक कर के लोमड़ी को कहा “किया हुआ भाई तुम तो कुछ भी नहीं खाया, मेरा पकाया हुआ खाना तुम्हे पसंद नहीं आया”?
लोमड़ी ने सारस को मुस्कुराते हुए कहा, हाँ खाना की खुसबू से ही मेरा पेट भर गया। ये कहकर लोमड़ी सारस की घर से चला गया।
नैतिक शिक्षा: “जैसा की तैसा।”
लोमड़ी और भेड़िया की कहानी | चालक लोमड़ी की कहानी इन हिंदी
चालाक लोमड़ी कहानी इन हिंदी | Moral Story in Hindi | चालाक लोमड़ी की कहानी लिखी हुई
एक बार की बात हे, एक जंगल की एक कुँए की पानी में एक लोमड़ी ने आपने छाया को देख रहा था। परछाई देखते देखते अचानक लोमड़ी की पैर फिसल कर कुँए की अंदर गिर गया।
लोमड़ी बेचारा कुएँ से बाहार निकलने की बहुत कोसिस किया लेकिन बहुत कोसिस करने की बाबजूद लोमड़ी कुँए से बाहार नहीं निकल पाया। बह लोमड़ी कुँए की अंदर से चिल्लाने लगा लेकिन कोई भी उसका चिल्लाने की सुनकर नहीं आया।
आखिर में कोई उपाय ना देखकर कुँए की पानी में आपने पैर से आवाज करने लगा। कुछ देर बाद एक भेड़िया उसी रस्ते से गुजर रहा था। कुँए की अंदर किसी चीज की आवाज सुनकर बह भेड़िया बहा रुक गया।
उसके बाह बह भेड़िया धीरे धीरे उस कुएँ की अंदर झक कर देखा की लोमड़ी पानी की अंदर पड़ा हे। तब लोमड़ी ने भेड़िया को देखकर कहा, भाई भेड़िया में कुँए की अंदर पड़ा हु मुझे बचा लो?
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लोमड़ी की ये बिनती सुनकर भेड़िया सहानुभूति से कहा, मुझे समझ में नहीं आ रहा हे तुम्हारी ये हालत कैसे हुआ? कुएँ की अंदर तुम्हारा किया काम था?
लोमड़ी ने कहा, बह सब बात बाद में बताऊंगा। अभी मुझे इस कुँए से बाहार निकालो। भेड़िया ने लम्बी सास लेकर कहा, तुम्हारी ये हालत देखकर मुझे बहुत ही दुःख हो रहा हे !
ये कहते हुए भेड़िया जिस रस्ते से आ रहा था ठीक उसी रासे में चला गया। भेड़िया की मुँह की सहानुभूति से भी लोमड़ी की जान नहीं बच पाया।
नैतिक शिक्षा: लोगो का स्वभाव ही लोगो का पहचान का उदहारण होता हे।”
Conclusion – निष्कर्ष –
आज की “Top 2 Best Chalak Lomdi Story in Hindi with Moral | चालाक लोमड़ी कहानी इन हिंदी | Moral Story in Hindi” ये कहानियाँ आपको केसा लगा कमेंट करके जरूर बताना क्यूंकि आपकी एक कमेंट हमें और भी अच्छी अच्छी नैतिक कहानियाँ लिखने में मदत करता हे।
ये कहानी “Top 2 Best Chalak Lomdi Story in Hindi with Moral” का उदेश्य हे की, आप दूसरे के साथ जैसा ब्यबहार करेंगे आपके साथ भी बह ठीक बेसा ही ब्यबहार करेगा।
इसलिए किसीके साथ भी किसी प्रकार ख़राब बर्ताब ना करे, क्यूंकि ये आपके साथ भी हो सकता हे। दूसरे से हमेशा अच्छा बर्ताब करने की कोसिस करे।
॥धन्यवाद॥
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