Invaluable 5 Good Thoughts of Lord Buddha | मन को शांति देने बाला भगबान बुद्ध की 5 अमूल्य सुबिचार

आज में एक आप के लिए ऐसी कहानी Good Thoughts of Lord Buddha | मन को शांति देने बाला भगबान बुद्ध की 5 अमूल्य सुबिचार | Gautam Buddha Suvichar in Hindi में लेकर आया हु जो सुनने की बाद आप को मन की शांति जरूर मिलेगा।

“Good Thoughts of Lord Buddha” भगबान बुद्ध की ये पांच सुबिचार अगर आप आपने जीबन में लागू करेंगे तो जरूर इसका फल देगा।

Good Thoughts of Lord Buddha

Good Thoughts मतलब अच्छे सोच, अच्छे बिचार इंसान को हमेशा खुश रखता हे। जो ब्यक्ति की मन में अच्छे बिचार चलते रहते हे बह कभी भी नरेश नहीं होता बह हमेशा आपने लक्ष पर अटूट रहता हे और बह आसानी से आपने लक्ष को हासिल करते हे।

अच्छे सांगत एक अच्छे बिचार की नमूना हे। क्यूंकि जब आप अच्छे लोगो की सांगत में आते हो तब आपको भी अच्छे सोच और अच्छे बिचार करने पे मजबूर कर सेठा हे और जो ब्यक्ति बुरे सांगत में पड़ते हे बह कितना भी अच्छे बिचार के क्यों न हो अच्छे सोच बाले क्यों ना हो बह गलत बिचार और गलत सोचने पे मजबूर हो जाता हे। 

इसलिए, निचे दी गयी भगबान बुद्ध की ये सुबिचार Good Thoughts को मन से पढ़िए और हो सके तो इसका पालन करे। आपकी जीबन बदल जायेगा और आपकी मन को बह शांति मिलेगा जो कही पर भी मिल ना सका।

Gautam Buddha Suvichar in Hindi

एक बार एक ब्यक्ति बुद्ध भिक्षु से कहते हे की मुनिबर में आपने ज्यादा सोचने की बजह से परेशान हु, कृपा करके इसका कोई समाधान बताये? 

बुद्ध भिक्षु कहते हे की, तुम आपने ज्यादा सोचने की बजह से परेशान हो, तुम इसलिए परेशान हो क्यूंकि ना चाहते हुए भी तुम्हारे भीतर बह सभी बिचार चलते रहते हे जिनके बारे में तुम सोचना नहीं चाहते हो।

यदि किसी ब्यक्ति के अंदर अच्छे बिचार चलते हे तो बह ये कभी नहीं कहेगा की में अधिक सोचने से परेशान हु, तब बह कहेगा की में चिंतन कर रहा हु। चिंता और चिंतन में एहि फर्क हे।

चिंता के समय ब्यक्ति की मन में बस एक ही बिचार बार बार चलता रहता हे। जिसके बारे में बह सोचता नहीं चाहता लेकिन चिंतन के समय ब्यक्ति की अंदर एक अच्छे और सकरात्मक बिचारो की एक लयबद्ध प्रक्रिया बन जाती हे जो उसे आनंद से भर देती हे।

तो चिंता और चिंतन दोनों अवस्थाओं में ब्यक्ति की मन में बिचार ही चलते हे लेकिन एक आब्स्था में ब्यक्ति की आत्मग्लानि डर पीड़ा से भर देती हे, बही दूसरी आब्स्था उसके भीतर बीज बोटी हे। उसे प्रेरित करती हे कुछ महत्ब्पूर्ण सकरात्मक बदलाब लेन के लिए। 

तुम्हारी समश्या मन में बहुत सरे बिचारो की चलना नहीं बल्कि कुछ बात और अनचाहे बिचारो का बार बार चलना हे। बह ब्यक्ति ने कहा, लेकिन मुनिबर ये कैसे पहचान जाये की कौन से बिचार अच्छे हे और कौन से बिचार बुरे? 

अच्छे बिचार और बुरे बिचार | Gautam Buddha Suvichar in Hindi

तब बुद्ध भिक्षु केहेती हे की, बुरे बिचार बह हे जो तुम्हे सुख और प्रलोभन देते हे लेकिन उसका परिणाम हमेशा दुःख दायी होता हे। और अच्छे बिचार बह हे जो हमारा भीतर बदलाब लाये।

हमें प्रेरित करे अपनी परिस्थिति को बदलने केलिए। हलाकि शुरुबात में अच्छे बिचारो पर अमल करना मुश्किल होता हे लेकिन बाद में उनका परिणाम काफी सुखदायी होता हे।

उदाहरण के लिए यदि हमारा मन में ये बिचार आता हे की क्यो ना हम चोरी कर लेता हूँ तो हमको बहुत सारा धन मिल जायेगा। तो शुरुबात में तो ये बिचार हमें अच्छा लग सकता हे और सुख की अनुभूति करा सकती हे लेकिन बाद में ये किया परिणाम देगा इसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते।

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दूसरा बिचार हो सकता हे की में सवयं को सवस्थ और अच्छा रखने केलिए व्यायाम और प्राणायाम कर उसे अआपने कीबन का हिस्सा बना लूंगा। 

अब इस बिचारो को बास्तबिक बनाने केलिए तुम्हे कर्म तो करना होगा, क्यूंकि बिना कर्म किये अच्छे से अच्छे बिचार भी किसी काम के नहीं होता। समझने बाली बात ये हे की लगातार कर्म करने से होने बाली आत्मग्लानी पीड़ा दुःख से हम जरूर बच सकते हे।

बुद्ध भिक्षु आगे कहते हे, आज में तुम्हे भगबान महात्मा गौतम बुद्ध की जीबन से और उनकी शिक्षा से पांच ऐसी बाते बताने जा रहा हु जिसका पालन करने से तुम आपने बिचारो को शुद्ध रख सकते हो, आपने मन को निर्मल और शांत कर सकते हो। 

Good Thoughts of Lord Buddha
Good Thoughts of Lord Buddha

1) आपने शरीर को हमेशा स्वस्छ रखे

आपने शरीर को हमेशा स्वस्छ रखे – हमारे शरीर के और मन के बिच एक गहरा सम्बन्ध होता हे। हम आपने शरीर को जैसे रखते हे हमारे बिचार भी बसे ही हो जाते हे। शरीर को साफ सुधरा रखना भी एक बहुत ही अच्छा आदत हे। जो हमें सैकड़ो की भीड़ में से दूसरे से अलग बनता हे। 

शिर के बाल से लेकर हमारे नाख़ून तक हमें साफ रखना चाहिए और उसमेसे सुगंध आना चाहिए। और यदि सुगंध नहीं आता हे तब काम से काम बदबू तो नहीं आना चाहिए। क्यूंकि कचरे की ढेर में कचरा ही फेका जा सकता हे फूल नहीं।

एक सुगंध एक सुगंध अंदर की भी होती हे जो की सकारत्मक बिचार और चित्त मन से आता हे। ये सुगंध उस ब्यक्ति के पास से आती हे जो भीतर से शांत होता हे। और ये सुगंध स्वयंग गौतम बुद्ध के शरीर से आता था और ये सुगंध इतनी मनमोहक थी की जो हर ब्यक्ति को गौतम बुद्ध की तरफ खींच लेती थी।

जो भगबान बुद्ध संपर्क में आते थे बुद्ध की मुख की शांति और शरीर की मनमोहक सुगंध से कोई भी ब्यक्ति प्रभाबित हुए बिना नहीं रह पता था। 

2) आपने शरीर की अंदर की गंदगी को बहार निकले

आपने शरीर की अंदर की गंदगी को बहार निकले – यानि की आपने शरीर की अंदर से शांत करो और ये तब होगा जब आप शारीरिक तप करोगे। यानि की हर रोज आप ब्यायाम करो और समय समय पर उपबास करो।

ये दोनों ही काम हमारे शरीर के अंदर जमी गंदगी और भीतर की चर्बी को साफ कर देते हे और शरीर भीतर से साफ और सवस्थ होगा तब मन में उठने बाले गंध बिचार स्वयं दूर हो जायेगा। 

और उसकी जगह अच्छे और सकरत्मक बिचार आने लगता हे। अब देखते हे भगबान बुद्ध शरीर को सवस्थ रखने केलिए शारीरक ब्यायाम कैसे करते थे। तो बुद्ध को बड़ा बड़ा राजा महाराजा अपने आपने सभा पर भोजन करने केलिए आमंत्रित करता थे।

और भगबान बुद्ध को लेन के लिए एक से एक रथ घोड़े भेजते थे ताकि बह आराम से आ सके। लेकिन भगबान बुद्ध कभी भी इन सबका उपजोग नहीं कर ता था। बह चाहे क्यो ना लम्बी रास्ता क्यो ना हो उसे हमेशा पैदल चलना पसंद कर ते थे। बह हर जगह पेहेद ही जाता था। 

बुद्ध का कहना था की ब्यक्ति को ये शरीर परिश्रम करने केलिए मिला हे। बह परिश्रम ना करके इस आभ्यास को ख़राब कर रहा हे। पैदल चलने से शरीर को कष्ट होता हे और जितना शरीर को कष्ट होता हे उतना ही आपके शरीर के लिए अच्छा होता हे। इसलिए शरीर से परिश्रम करबाए।

Good Thoughts of Lord Buddha
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3) उचित और सम्यक आहार

उचित और सम्यक आहार – भगबान बुद्ध कहते हे की, जैसे ब्यक्ति का आहार होता हे बेसा ही उसका बिचार हो जाता हे। इसलिए ब्यक्ति को हमेशा अच्छा आहार ग्रहण करना चाहिए।

उसे कभी भी मांसासिक और मृत आहार नहीं खाना चाहिए। उसे आपने भोजन में ज्यादा से ज्यादा जीबित चीजों शामिल करनाचाहिए। यानि की ऐसा आहार जो सीधा प्रकति से मिला हो और जिसमे जीबन हे।

क्यूंकि ऐसा भोजन आसानी से पच भी जाता हे और शरीर में कोई भी गंदगी नहीं जमने देती। भोजन को हमेशा उचित मात्रा में ही लेना चाहिए। भोजन चाहे कितना भी स्वादिष्ट और हल्का क्यों न हो लेकिन उसे उतना ही ग्रहण करे जितना आपको अबसकता हो।

आदिक मात्रा में भोजन कभी भी नहीं करना चाहिए क्यूंकि अच्छी चीज भी अति मात्रा में लेंगे तो हमें नुकसान करते हे। इसलिए, जब भी भोजन करे तो हमेशा हल्का भूख रखो। और थोड़ा सा काम खाने की कोसिस करो। ऐसा करने से तुम्हारे शरीर में बीमारी नहीं होगा।

रत के समय में हमेशा हल्का और काम भोजन करे। ताकि आप जो खाना ख्याये हो बह आपकी ऊर्जा उसे जल्दी पचा सके। और तुम्हारी आंतरिक शरीर को सफाई और मेरामत कर सके।

जब भगबान बुद्ध किसी की यहाँ भोजन करने केलिए जाते हे तो बहा की जोग भगबान बुद्ध के लिए तहरा तरह की अच्छी अच्छी खाना उनकी पात्र में देती हे। लेकिन भगबान बुद्ध ने आपने पात्र में उतना ही खाना लेते जितना उन्हें जरूरत होता हे।

भगबान बुद्ध कभी भी आदिक खाना नहीं लेता और ये शिक्षा आपने शिष्य को भी देता हे।  भोजन पेट भरने के लिए किया जाता हे ना की मन भरने केलिए। यहाँ समझने बाली बातएक और हे की यदि तुम स्वादिष्ट भोजन के शौकीन हो तो उसे अचानक से भी खाना भी बंद मत करो बस उसकी मात्रा थोड़ा काम कर देना यानि खाना ज्यादा ना कम।

4) अपनी संगीत का खास ध्यान रखो

अपनी संगीत का खास ध्यान रखो – संगीत का अर्थ उन लोगो या उन दोस्तों को पता नहीं हे जिसके साथ आप रहती हे और समय बिताते हे। बल्कि इसका अर्थ हर उस चीज से हे जिस को आप अपनी इन्द्रयों के साथ ग्रहण करते हे।

जैसे की हम किन लोगो के साथ रहते हे, किया देखते हे, किया सुनते हे , किस्से बात करते हे इत्यादि। जब भगबान बुद्ध ने ये निस्चय कर लिया की उन्हें भीतर की यात्रा पर निकलना हे तो उनहने ुस्व हर चीज को छोड़ दिया।

जो उन्हें लगा की उनकी यात्रा में बाधा बन कर आ रही हे। इससे हमें ये सिखने को मिलता हे की हमें अपनी लक्ष को प्राप्त करने केलिए अपनी आरामदायक आब्स्था से बहार निकलना पड़ेगा।

और उन लोगो और बह चीजों को भी छोड़ना पड़ेगा जो आपके लिए छोड़ना मुश्किल होता हे। जब सिद्धार्थ बुद्ध नहीं बने थे आपने प्रश्न की खोज में थे तब उन्हें कई राजा महाराजा ने आमंत्रण दिया हे की उन्हें उनकी घर में आकर रहे और बहा उन्हें उनको को भी परिसानी नहीं होगा।

गर्मी सर्दी बरसात सबसे बह बचकर रहेंगे और आपको सभी प्रकार सुख सुबिधये दिया जायेगा। लेकिन सिद्धार्थ ने ये स्बीकार नहीं किया क्यूंकि बह जानते थे की उन्हें भीतर की यात्रा करनी हे और बह किसी ऐसे ब्यक्ति के साथ नहीं रहे सकते हे जो बहार की यात्रा कर रहा था। 

और बह सभी राजा महाराजा इस बहार की यात्रा में ब्यस्थ थे और ऐसे लोगो की संगती करने का कोई  हे। यहाँ सीखने बाली बात ये हे की हमें ऐसा इंसान के साथ संगती नहीं करना चाहिए जो हमारे लक्ष के बिच बाधा बन कर खड़ा हो। 

फिर बह ब्यक्ति चाहे कितना भी धनि शक्तिशाली बलबन बुद्धिमान क्यों ना हो। आगे जाकर बुद्ध ने अआपने गुरु को भी छोड़ दिए जब उन्हें ये महसूस हुआ की उनकी संगति उनकी लक्ष में बाधा बन रही हे। 

यहाँ संजने बलि बात एक और हे, इसे जरुरी नहीं की जो संगती पहले से आपके लिए अच्छे हे बह बाद में भी हो। समय और लक्ष की अनुसार आपने संगती को भी बदलना चाहिए। आपने प्रश्न की उत्तर की खोज के दौरान सिद्धार्थ ज्यादातर उन लोगो के साथ अपने समय बिताते थे जो उनकी यात्रा में सहायक हो।

Good Thoughts of Lord Buddha
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5) अच्छा सुने और अच्छा देखे 

अच्छा सुने और अच्छा देखे – तुम्हने जो भी सीखा उसे अभ्यास में लाओ। तुमने ध्यान साधना के बारे में सुन लिया लेकिन यदि उसे आपने जीबन में उतरा नहीं तो उसे सुनने का भी कोई लाभ नहीं गोगा। अच्छा सुनने और अच्छा देखने के कारन भी लोगो की जीबन में बदलाब नहीं आ पाता। 

क्यूंकि बह ब्यक्ति अच्छे देखते सुनते तो हे लेकिन उन चीजों को आपने जीबन में रूपांतरित नहीं करते और बस सिखाएत करते रहते हे। इसलिए, जो भी आपने संगती में सीखा हे उसे जीबन में उतरो।

भगबान बुद्ध की एक खासियत था की, जो भी उनके गुरु ने सिखाते बह तुरंत उसपर काम करने लगते हे। उसे कल की भरोसा में नहीं छोड़ता। इससे उन्हें उसी समय ये पता चल जाता हे की कौन सी चीज काम की हे और कौन सी नहीं। इसलियए जो भी सीखा हे उसे कर्म के दौरा ब्यक्त करो।

एक बार और, बहुत लोग कामबासना को समझते हे। लेकिन कामबासना का बिचार आना गलत नहीं हे। जब तक तुम उसका प्रति बिचार नहीं करते कामबासना का बिचार उठना उतनाही सब्भाबिक हे जितना भूख लगने पर भोजन का मन करना।

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इसलिए, कामबासना के बिचार को गलत मत समझ ना। इंसानी बिचार को आगे बढ़ने के लिए इस बिचार को उठना बेहद जरुरी हे। सबसे पहले तो तुम ये निर्णय करो की तुम्हे कामबासना में लिप्त होना हे या इससे ऊपर उठना हे। 

यदि कामबासना में लिप्त होना हे तो पूरी तरह से लिप्त हो जाओ। और कामबासना को पूरी तरह से अनुभब करो। फिर इसकी बारेमे मन में किसी तरह की अफसोस मत रखना। क्यूंकि ये कोई पाप नहीं हे। लेकिन यदि तुम्हारा मन इससे ऊपर उठना चाहता हे जो की कोई भी कामबासना से ऊपर उठ सकता हे।

तो इस पांच बातो को आपने जीबन में उतर लो। फिर देखो तुम्हारा जीबन में अच्छे बिचारो का एक चक्र बन जायेगा। और फिर फिर चाह कर भी तुम्हारा मन में बुरे बिचार नहीं आ पाएंगे। जब तक की तुम इन आदतो को दुबारा छोड़ ना दो। 

बुद्ध भिक्षु की इस सभी बातो को सुनने के बाद उस ब्यक्ति को उसका प्रश्न का उत्तर मिल गया था और बह उनका ध्यन्यबाद कर के बह आपने घर लट जाता हे।

“अच्छे सोचने और अच्छे बिचारो से आपको शांति मिलता हे “

Conclusion – निष्कर्ष –

आज की ये कहानी Invaluable 5 Good Thoughts of Lord Buddha | मन को शांति देने बाला भगबान बुद्ध की 5 अमूल्य सुबिचार आपको ये सिखाता हे की जब तक आप आपने बुरी आदतों को नहीं छोड़ कर अच्छे आदतोको नहीं आपनायेंगे तब तक आपको अपनी जीबन में शांति नहीं मिलेगा। 

इंसान थोड़ा शांति ढूढ़ने लेकिये किया किया ना करता हे, कहा कहा ना जाता हे, लेकिन आपको ये कहानी पड़ने की बाद पता चलेगा की शांति तो आपने अंदर ही छुपा हे बस इसको समझ ना होगा और जब समझ जायेंगे तो इसे आपने जीबन में उतर ना होगा। 

भगबान बुद्ध की ये पांच बिचार बहुत ही अनमोल हे। भगबान बुद्ध की ये पांच अनमोल बिचार एकबार आप आपने के ऊपर आजमाए देखो, आपके जीबन में शांति जरूर आएगी। 

Good Thoughts of Lord Buddha FAQ

भगबान महात्मा गौतम बुद्ध कहते ही की - आप आपने जीबन में हजारो लाखो युद्ध पे सफल होने से अच्छा की तुम आप आपने पर ही बिजय प्राप्त कर लो। फिर देखना, आपकी जीबन में जित हमेशा तुम्हारी होगी। और उस बिजय दुनिया की कोई भी ब्यक्ति छीन नहीं सकता।
बुरे बिचार बह हे जो तुम्हे सुख और प्रलोभन देते हे लेकिन उसका परिणाम हमेशा दुःख दायी होता हे। और अच्छे बिचार बह हे जो हमारा भीतर बदलाब लाये।
भगबान महात्मा गौतम बुद्ध कहते ही की - ध्यान एक ऐसी चीज हे जो आपको मन को शांति देता हे। और इसकी अभ्यास हमेसा करना चाहिए। हमें रोज ध्यान करना चाहिए। और बौद्ध की ध्यान हप्ते में दो बार जरूर करना चाहिए।
भगबान बुद्ध की 5 सुबिचार - 1) आपने शरीर को हमेशा स्वस्छ रखे 2) आपने शरीर की अंदर की गंदगी को बहार निकले 3) उचित और सम्यक आहार 4) अपनी संगीत का खास ध्यान रखो 5) अच्छा सुने और अच्छा देखे 
बौद्ध धर्म के 5 नियम ये हे की - 1) कभी भी किसीसे झूट नहीं बोलना चाहिए। 2) आपने जीबन में कभी भी व्यभिचार मत करना। 3) आपने जीबन में कभी भी करना दुसरो को भी माना करना। 4) आपने जीबन में कभी भी नशा मत करना और जो करते हे उसे भी समझा ना। 5) गलत सांगत में ना पड़ना।

॥धन्यवाद॥

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