Gautam Buddha Inspirational Story in Hindi | गौतम बुद्ध की प्रेरणादायक कहानी

आज की “Gautam Buddha Inspirational Story in Hindi” गौतम बुद्ध की प्रेरणादायक कहानी आपको आपकी जीबन की बह पहलू बह डर दूर करेगा जिसके लिए आप आज भी कामियाबी नहीं हो पाया।

Gautam Buddha Inspirational Story in Hindi

“Gautam Buddha Inspirational Story in Hindi” आलसी एक बहुत बड़ा मानसिक बीमारी हे जो इंसान को कामचोर नबना देता हे और उसकी सारे सपने सारे आशय बर्थ हो जाता हे।

आज हम “Gautam Buddha Inspirational Story in Hindi” “मेहनत करने से डरो मत” इसकी बारे में बिस्तर से चर्चा करेंगे। और हम आलसी से कैसे छुटकारा पाए और जीबन में कैसे आपने लक्ष को हासिल कर सके?

तो चलिए देर ना करके शुरू करते हे आज की कहानी “Gautam Buddha Inspirational Story in Hindi” मेहनत करने से डरो मत –

मेहनत करने से डरो मत

Gautam Buddha Inspirational Story in Hindi
Gautam Buddha Inspirational Story in Hindi

बहुत पुराणी कहानी हे। एक बड़ा सा पहाड़ की निचे एक छोटे से गांव बसा हुआ था और उसी गांव का एक लड़का था जो अपने अलसी पना और कामचोर से परिचित था।

उस गांव का सभी लोगोने उसे अलसी और कामचोर की नाम से ही पुकारते थे। बह लड़का पूरा दिन गांव की पीछे एक पेड़ में बैठा रहता। और बैठे बैठे आपने आने बाला भबिष्य की बारेमे अच्छे अच्छे सपने देखता रहता।

बह लड़का का दिन ऐसे ही अलसी में गुजर रहे थे। अचानक एक दिन उस गांव में एक बुद्ध भिक्षुक आया और बह बुद्ध भिक्षुक अगले तीन दिनों तक उसी गांव में रहने बाले थे।

बुद्ध बक्षु सारा दिन उसी गांव में भिक्षा करता था और गांव की लोगो को अच्छा अच्छा उपदेश देता था और जब रात होता था तब गांव की पास में एक बुद्ध मठ में बिश्राम करता था।

बुद्ध भिक्षु प्रीतिदिन जब गांव में भिक्षा करने जाते थे और भिक्षा करके बपाश लोट ते तब उस अलशी लड़के को उसी पेड़ की निचे कभी बैठा हुआ और कभी लेटा हुआ देखता था।

बुद्ध भिक्षु लगातार दो दिन बह लड़का को उसी पेड़ की निचे उसी हालत में देखा। ये देखने के बाद बुद्ध भिक्षु समझ गए थे की बह लड़का मानसिक अलसी का गोलम बन चूका हे।

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तीसरे दिन जब बुद्ध भिक्षु गांव से भिक्षा करके जब बपाश बुद्ध मठ में लोट रहे थे तब बुद्ध भिक्षु ने देखा की बह लड़का अभी भी उसी पेड़ की निचे बैठा हुआ हे और ये देखने की बाद बुद्ध भिक्षु से रहा नहीं गया बह तुरंत उस लड़के के पास गया।

बुद्ध भिक्षु ने उस लड़के से कहा बेटा तुम्हारे लिए मेरे पास एक छोटा सा काम हे, में चाहता हु तुम उस पहाड़ी की चोटी तक जाओ और बहा से मेरे लिए एक पंख लेकर आओ?

बह लड़के ने बैठे बैठे आपने गर्दन घुमाके और उस पाहाड़ की ऊंची चोटी की तरफ देखा और उसके बाद बुद्ध भिक्षु से कहा ये काम मुझसे नहीं हो पायेगा क्यूंकि बहा तक जाने केलिए मुझमे उतना ताकत नहीं हे।

बुद्ध भिक्षु ने कहा मुझे जिस पंख की तलाश हे बह उस पहाड़ी की सिखर पे भी नहीं मिलेगा, बह पंख उस पहाड़ी की दूसरी तरफ एक गुफा की अंदर मिलेगा और उस पंख को हासिल करने केलिए उस पहाड़ी की सिखर तक चढ़के दूसरी तरफ निचे उतर ना पड़ेगा।

बुद्ध भिक्षु ने कहा कहा बह पंख कोई साधारण पंख नहीं हे, तुमने उस पंख को आजतक कही भी नहीं देखे हो। बह पंख बहुत ही अनमोल, दुर्लभ और बहुत ही सुन्दर पंख हे।

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बुद्ध भिक्षु की इस बातो को सुनकर उस लड़के की मन में उत्सुकता जागा क्यूंकि बह लड़के ने आज से पेहेले बह पंख की बारे में आजतक नहीं सुना था। और ऐसे दिलचस्त सफर की बारे में सोचकर अंदर से एक प्रेरणा जगा।

और बुद्ध भिक्षु से कहा में आपकी ये दुर्लभ पंख में लेकर आयूंगा। ये केहेनी की बाद बह लड़का बिना कुछ सोचे सफर में चल पड़ा। बह सफर बहुत ही कठिन था क्यूंकि पहाड़ी की रास्ते की उतर चराब में बह लड़का जल्दी ही थकने लगा।

बह लड़के की सासे फूलने लगी और शरीर से काफी पसीना बेहेने लगा। लेकिन बह हर नहीं मानी बह पहाड़ी की ऊपर चरता ही गया। जैसे जैसे बह ऊपर चढ़ने लगा उसे बेसे बसे उसे जोश आने लगी।

जो आज से पेहेले कभी भी बह ऐसा जोश महसूस नहीं किया था। बहुत कोसिस और कड़ी मेहनत की बाद जब बह लड़का आखिर कार उस पहाड़ी की सिखर तक पहुंचा तब बह बहुत ही थक चूका था।

लेकिन बह लड़का बहुत ही खुश था। उसे अंनदर से आत्मा संतुष्टि का एहेसास हो रहा था और उसके चहरे पे एक अलग ही मुस्कान थी। बहा से प्रकितिक सौन्दोर्यो देखकर बह और भी मुग्ध हो गया था।

लेकिन उसे पहाड़ी की दूसरे और उतर ना था और उस गुफा को ढूढ़ना था जहां बुद्ध भिक्षु ने पंख की बारेमे बताया था। निचे उतरना और भी ज्यादा कठिन था क्यूंकि निचे की तरफ ढालान ज्यादा खड़ी थी।

पहाड़ी में चढ़ने की बक्त बह लड़का बहुत बार लड़खड़ाया और गिरा भी था इसलिए उसके के अंदर एक डर भी था लेकिन बह बुद्ध भिक्षु को पंख लाने की वादा जो किया था इसकी बजह से बहुत कोसिस और कड़ी मेहनत की बाद आखिर बह उस गुफा में पहुंच ही गया।

जब बह गुफा में पहुंचा तो देखा की बह पंख गुफा की अंदर ही पड़ा हुआ हे। जो गुफा में आरहा रोशनी से चमक रहा था। बह पंख को आपने हाथो में लिया और पंख की सुंदरता को देखकर आश्चर्य हो गया।

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क्यूंकि बह ऐसा पंख आज तक नहीं देखा था। बह काफी देर तक उस पंख को देखता रहा और अचानक उसे याद आया उसे एहसे बपाश भी जाना हे। बह पूरी तरह से थक चूका था।

बह सोच में पड़ गया की बह फिर से उस पहाड़ पर कैसे चढ़ेगा और ये पंख बुद्ध भिक्षु तक कैसे पहुचायेंगा। एक पल केलिए बह बहुत ही उदाश और हार मान लिया था लेकिन उसे बह आत्मा बिस्वास और गर्भ की भाबनाय याद आ गया जो बह पहाड़ी की शिखर पर महसूस की थी।

उसे एहसाह हुआ की उसे दुबारा ये सफर करनेकी ताकत और मनोबल हे। बह पंख लेकर दुबारा पहाड़ी पे चढ़ने लगा। उसे बहुत तकलीफ हो रहा था। उसका पूरा शरीर की मास पेशियों में दर्द हो रहा था।

पैर कांप रहा था, सासे फूल रहा था, बह कही बार लड़खड़ाके गिर भी पड़ा लेकिन उसने हिम्मत और आत्म बिस्वास से आगे चल पड़ा और बह हार नहीं मानी। बहुत कोसिस और कड़ी मेहनत की बाद जब बह बुद्ध भिक्षुक के पास पहुंचा और हाथोमे उस पंख को रखा तो उसको बहुत ही ख़ुशी हुआ।

उसे संतुष्टि था की बह आज अलसी को ख़तम करके एक मेहतपूर्ण काम करके दिखाया। उसकी चेहेरे रौनक और ख़ुशी देखकर बुद्ध भिक्षु ने कहा में तुम्हारी सफलता में बहुत ही खुश हु।

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आज तुम्हने तुम्हारी जीबन का एक बहुत ही मेहताबपूर्ण काम सीखा हे और अलसी बहुत बुरी चीज हे जिसे स्वीकार करना नहीं चाहिए। अलसी एक आदत हे जो इंसान की मानसिकता को ऊपर हाबी होता हे उसे दूर करना होगा।

अलसी जीबन की सफलता पाने की सबसे बड़ा बाधा हे जो तुम्हे ये तोड़ कर तुम्हे एक पहेला कदम उठाना ही पड़ेगा। आपने उद्देश्य की और चलना ही पड़ेगा। और तबतक चलना पड़ेगा जबतक तुम आपने लक्ष को पूरा नहीं कर लेते।

लड़के ने बुद्ध भिक्षु की बात की गहराई और महत्त्व को समझते हुए हां में आपने सिर हिला दिया। उसे आज एहसास हुआ की उसे हमेशा से ही कठिन और महान चीजों को करने में सक्षम था।

लेकिन उसकी अलसी मानसिकता ने उसे रोक रखा था। अब उसे अच्छी तरह से पता चल गया था की दुनिया की कोई भी कठिन कामो को करने केलिए उसकी पास ताकत और मानसिक दिरसंकल्प हे। उसके बाद बुद्ध भिक्षु ने बह लड़के को आशिर्बाद दिया और बह गांव से चला गया।

ये कहानी से हमें ये सिख मिलता हे की जब हमें कोई काम असम्भब लगता हे और आपने लक्ष को हासिल करने केलिए जब हम खुद आगे बढ़ते हे तब हम आपने अंदर एक ऐसी ताकत और आत्म बिस्वास की खोज करते हे जिसके बारे में हमें पहले से कभी भी पता नहीं था।

अलसी पे छुटकारा पाने के लिए हमें खुद को चुनौती देनी चाहिए और बड़े बड़े महत्ब पूर्ण लक्ष बनाना चाहिए। चाहे बह लक्ष कठिन क्यों ना हो। हमें हमेशा आगे बढ़ना चाहिए।

और असफलता की सामना करने केलिए आपने को अंदर से और भी मजबूत होना चाहिए। अलसी पर च्छुतकारा पाने की मतलब मानिसक बिकाश की बिकसित करना हे।

इसका मतलब चुनौती और असफलताओ को बिकाश और कुछ अच्छा सिखने की अबसर में देखना ना की हार मानने की कारोन की रूप में। बिकाश की मानसिकता को आपने कर अपनी असफलता को बारे में सोच कर एक नया रूप दे सकते हे।

और हमारा गलतिओ का सुधर उसे सिखने में उपजोग कर सकते हे। और अंत में हमें आपने अलसी पर काबू पाने के लिए अपनी एसो आराम को छोड़कर जीबन की चुनौती और अबसरो को स्वीकार करना ही पड़ेगा।

Conclusion – निष्कर्ष –

आज की “Gautam Buddha Inspirational Story in Hindi | गौतम बुद्ध की प्रेरणादायक कहानी” मेहनत करने से डरो मत ये कहानियाँ आपको केसा लगा कॉमेंट करके जरूर बताना। 

क्यूंकि आपकी एक कॉमेंट हमको और भी ज्यादा उत्साह देती हे और भी ऐसी अच्छी अच्छी प्रेरणादायक कहानी लिखने में। हमारा ये “Gautam Buddha Inspirational Story in Hindi -मेहनत करने से डरो मत” कहानी की उद्देश्य था की जीबन में आगे बढ़ने के लिए हमें असली से बहार निकलकर आपने लक्ष को पूरा करना होगा।

और इसलिए हमें कड़ी मेहनत और लगन से काम करना पड़ेगा। जीबन में आपने लक्ष पूरा करने केलिए बहुत सी बाधा आएगा लेकिन हमें सभी बाधाओं को तोड़ कर अपने उद्देश्य की तरफ ध्यान देना पड़ेगा।

 ॥धन्यवाद॥

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